नयी दिल्ली, दो जून । कोरोना महामारी के मद्देनजर देश में 25 मार्च से लॉकडाउन के दौरान वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से मुकदमों की सुनवाई कर रहे उच्चतम न्यायालय ने अनलॉक-1 का पहला चरण शुरू होने के साथ ही न्यायालय कक्षों में वकीलों की उपस्थिति को अनुमति देने की दिशा में मंगलवार को पहला कदम उठाया और कहा कि इसकी संभावना तलाशी जायेगी।
शीर्ष अदालत ने हाल ही में कुछ सुरक्षा उपायों के साथ सप्ताह के कार्य दिवसों में सम-विषम के आधार पर वकीलों के चैंबर खोलने की अनुमति प्रदान की थी।
शीर्ष अदालत ने एक नोटिस में कहा, ‘‘विभिन्न वर्गों से मिले अनुरोध और सामाजिक दूरी के पैमाने का पालन करते हुये न्यायालय में वकीलों को व्यक्तिगत रूप से उपस्थिति की संभावना तलाश करने के लिये यह अधिसूचित किया जाता है कि सभी वकीलों और व्यक्तिगत रूप से पेश होने वाले पक्षकारों को संयुक्त रूप से यह सहमति देनी होगी कि वे खुद पेश होकर मामले में बहस करना चाहते हैं।’’
नोटिस में कहा गया है कि पक्षकारों से इस तरह की सहमति प्राप्त होने के बाद उच्चतम न्यायालय ऐसे मामलों को वास्तविक न्यायालय कक्ष में सुनवाई के लिये सूचीबद्ध करने पर विचार करेगा। यह पीठ की उपलब्धता और सक्षम प्राधिकारी के आदेश और सामाजिक दूरी के पैमाने पर निर्भर करेगा।
बार काउन्सिल आफ इंडिया और कुछ अन्य बार संस्थाओं ने शीर्ष अदालत से अनुरोध किया था कि वास्तविक न्यायालय कक्ष में मुकदमों की सुनवाई शुरू करने पर विचार किया जाये क्योंकि वीडियो कॉन्फ्रेंस की वर्तमान व्यवस्था ठीक से काम नहीं कर रही है और अनेक वकीलों की इस प्रौद्योगिकी तक पहुंच नहीं है या वे इसे ठीक से जानते नहीं है।
इस बीच, सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स ऑन रिकार्ड एसोसिएशन ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से मुकदमों की सुनवाई में वकीलों को हो रही दिक्कतों का जिक्र करते हुये मंगलवार को प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबड़े और शीर्ष अदालत के अन्य न्यायाधीशों से अनुरोध किया था कि जुलाई से न्यायालय में नियमित सुनवाई शुरू की जाये।
एसोसिएशन के अध्यक्ष शिवाजी एम जाधव ने पत्र में कहा था, ‘‘इन व्यावहारिक दिक्कतों को ध्यान में रखते हुये मैं सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स ऑन रिकार्ड एसोसिएशन और हजारों वकीलों की ओर से अनुरोध करता हूं कि अनलॉक-1 की घोषणा के मद्देनजर जुलाई में न्यायालय फिर से खुलने पर नियमित सुनवाई शुरू की जाये और चरणबद्ध तरीके से इसे सामान्य बनाया जाये।’’
एसोसिएशन के अनुसार, प्राप्त जानकारी के मुताबिक वकील वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सुनवाई के दौरान अपने मुकदमों को प्रभावी तरीके से पेश नहीं कर पा रहे हैं और यह वीडियो कॉन्फ्रेंस से सुनवाई के लिये सहमति देने में बहुत बड़ी बाधा है।