23/05/2020 का पंचाग
शाके :- 1942
संवत् :- 2077
संवत् नाम :- आनंद
मास :- ज्येष्ठ
पक्ष :- शुक्ल
तिथि :- प्रतिपदा (24 :16:30
वार :- शनि
नक्षत्र :- रोहिणी (28 :50 :39
योग :- अतिगंड
करण :- किंस्तुघ्न
संक्रांति :- वृषभ
ऋतु :- ग्रीष्म
अयन :- उत्तरायण
गोल :- उत्तर
संदीप पराशर
सूर्योदय : 05 : 30 : 00 सूर्यास्त : 19 : 06 : 00
चंद्रोदय : 05 : 59 : 14
चंद्र नक्षत्र:
पद,अक्षर,नक्षत्र,समाप्ति समय
1 ओ रोहिणी : 09:36:00
2 वा रोहिणी : 16:02:22
3 वी रोहिणी : 22:27:16
4 वु रोहिणी : 04:50:39
अथ चौघडिया मुहूर्त : दिवा
काल 05:28 – 07:10 अशुभ
शुभ 07:10 – 08:53 शुभ
रोग 08:53 – 10:35 अशुभ
उद्वेग 10:35 – 12:18 अशुभ
चर 12:18 – 14:01 शुभ
लाभ 14:01 – 15:43 शुभ
अमृत 15:43 – 17:26 शुभ
काल 17:26 – 19:09 अशुभ
रात्रि
लाभ 19:09 – 20:26 शुभ
उद्वेग 20:26 – 21:43 अशुभ
शुभ 21:43 – 23:01 शुभ
अमृत 23:01 – 00 :18 शुभ
चर 00 :18 – 01 :35 शुभ
रोग 01 :35 – 02 :53 अशुभ
काल 02 :53 – 04 :10 अशुभ
लाभ 04 :10 – 05 :27 शुभ
कैसे प्रयोग करें चौघडिया
नोट— दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये,उद्वेगे थलगार|
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।लाभ में व्यापार करें।*
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
विशेष जानकारी
अग्नि वास ज्ञान -: 1+ 7 + 1 = 8 ÷ 4 = 0 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l
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राहुकाल : 08 : 53 –10 : 35 अथ अभिजित मुहुर्त :11 : 51 --12 : 45
- सर्वार्थ एवं अमृत सिद्धि योग 28:51 तक
*रोहिणी व्रत (जैन)