गुरुग्राम के डॉक्टर योगेन्द्र की अथक कोशिश से यमन का युवक अपने परिवार से मिला !

Font Size

गुरूग्राम, 23 अप्रेल । नोवल कोरोना लाॅकडाउन के दौरान प्रदेश में सरकारी अस्पतालों में नियुक्त चिकित्सक जहां एक ओर कोरोना से लड़ने में आम जनता की मदद कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर गुरूग्राम के नागरिक अस्पताल के कैजुवल्टी वार्ड के इंचार्ज डा. योगेंद्र सिंह ने जनता की कोरोना से लड़ने में मदद करने के साथ-साथ अपने अथक प्रयास से एक यमन देश के युवक को उसके परिवार से मिलवाकर मानवता और सहृदयता का अनूठा उदाहरण पेश किया है, जिसके लिए उनकी सर्वत्र प्रशंसा हो रही है।

गुरुग्राम के डॉक्टर योगेन्द्र की अथक कोशिश से यमन का युवक अपने परिवार से मिला ! 2यमन नागरिक, जिसकी आयु लगभग 22 वर्ष लग रही थी, को उसके परिवार से मिलवाने में डा. योगेंद्र को दिक्कतें तो बहुत आई लेकिन उन्होंने हार नही मानी। पहली दिक्कत तो भाषा को लेकर आई क्योंकि यह यमन नागरिक हिंदी तो दूर अंगे्रजी भी नही जानता था। उसे केवल अरेबिक भाषा ही आती थी और उसे यमन दूतावास ने गुमशुदा घोषित कर दिया था। भाषा अवरोध के कारण वह व्यक्ति यहां पर किसी को अपनी बात समझा नही पा रहा था और यहां पर लोग उसे पागल समझ रहे थे।

हुआ यूं कि 18 अपै्रल को हरियाणा सरकार के एंेबुलेस टोल फ्री नंबर 108 पर काॅल आती है कि गुरूग्राम में कादरपुर गांव के पास एक व्यक्ति सड़क किनारे पड़ा हुआ है। उसे गुरूग्राम के नागरिक अस्पताल में लाया गया जहां पर देखने से पता चला कि उस अनजान व्यक्ति की हाल ही में बड़ी न्यूरो सर्जिकल सर्जरी हुई है और वह भाषा अवरोध के कारण अपनी बात समझा नही पा रहा है। ज्यादात्तर चिकित्सकों ने भी उसे मनोरोगी मरीज मान लिया क्यांेकि वह इधर-उधर दौड़ रहा था और अस्पताल स्टाफ का सहयोग भी नही कर रहा था।

इस बीच नागरिक अस्पताल के आपातकाल वार्ड के इंचार्ज डा. योगंेद्र सिंह ने उसकी पीड़ा को समझा और उसकी मर्ज जानने की कोशिश की। उन्होंने उसके परिजनों को स्थानीय पुलिस तथा प्रशासन के सहयोग से ढूंढने का प्रयास किया परंतु कामयाबी नही मिली। इसके बाद 21 अपै्रल को उस अनजान व्यक्ति को कागज देकर उस पर अपनी बात लिखने को कहा गया तो उसने उस कागज पर कुछ लिखा, जिसे पढवाने का अलग-अलग भाषाओं के ज्ञाताओं से डा. योगंेद्र ने प्रयास किया। डाॅक्टर को लगा कि उस अनजान व्यक्ति ने कुछ उर्दु में लिखा है लेकिन उर्दु के ज्ञाता से पढवाने पर पता चला वह अरेबिक भाषा है। उसके बाद गुगल ट्रांसलेटर पर डा. योगेंद्र ने उस अरेबिक भाषा का अनुवाद किया तो उस व्यक्ति की पहचान यमन देश के युसुफ के तौर पर हुई। इसके बाद डा. योगंेद्र ने गुगल पर ही यमन दूतावास का टेलीफोन नंबर खोजकर उस पर संपर्क करने की कोशिश की लेकिन उस पर कोई जवाब नहीं दे रहा था।

डा. योगेंद्र ने इसके बाद अपनी पत्नी डा. सरोज यादव, जोकि सीजीएचएस डिस्पेंसरी में कार्यरत हैं, की मदद ली और डिस्पेंसरी में आने वाले दिल्ली पुलिस के कर्मियों का पता करके गे्रटर कैलाश के थाना प्रभारी तक यह डाॅक्टर दंपति पहुंचा, जिनके साथ यमन देश के युसुफ की दास्तान सांझी की गई। गे्रटर कैलाश थाने से सिपाही हवा सिंह को दिल्ली के वसंत विहार थाना क्षेत्र में स्थित यमन दूतावास में भेजा गया जहां से पता चला कि दूतावास का कार्यालय वहां से कहीं ओर शिफट हो गया। इसके बाद और पड़ताल करने पर पता चला कि दूतावास का कार्यालय दिल्ली आनंद निकेतन क्षेत्र में है, जहां पर सिपाही हवा सिंह को कोई व्यक्ति नही, केवल एक गार्ड मिला जिससे उसने दूतावास के किसी कर्मचारी का नंबर ले लिया। इस नंबर से थाना प्रभारी ने दूतावास के अन्य कर्मचारी का नंबर प्राप्त किया, जिस पर युसुफ की बात करवाई गई। दूतावास द्वारा उसके परिवार को बुलाया गया और 22 अप्रैल को यमन दूतावास के कर्मचारियों की मौजुदगी में युसुफ को गुरूग्राम में उसके परिजनों को सौंप दिया गया।

इस प्रकार डा. योगेंद्र सिंह, उनकी पत्नी डा. सरोज यादव तथा दिल्ली पुलिस के गे्रटर कैलाश में निुयक्त थाना प्रभारी सभी के प्रयासों से लगभग 22 वर्षीय युसुफ पागलखाने में भर्ती होने से बच गया और उसे अपना परिवार मिल गया। डाॅक्टर दंपति के इस मानवीय दृष्टिकोण तथा प्रयासों की सर्वत्र प्रशंसा की जा रही है।



You cannot copy content of this page