-पर्यावरण पर आयोजित रीजनल कान्फ्रेंस में बोले राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण के अध्यक्ष
-अनुच्छेद 21 के तहत प्राप्त जीवन के अधिकार के अंतर्गत है यह अधिकार
-राज्य इस अधिकार को प्रदान करना सुनिश्चित करे
गुरूग्राम , 11 जनवरी। राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण के अध्यक्ष जस्टिस (सेवानिवृत) आदर्श कुमार गोयल ने कहा कि देश में ठोस व तरल कूड़ा निस्तारण के लिए सस्ते और सतत मॉडल विकसित करने की आवश्यकता है जिसमें आम नागरिकों, एनजीओ, संस्थाओं व सरकारी अधिकारियों सभी को शामिल किया जाए । उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत प्राप्त जीवन के अधिकार के अंतर्गत स्वच्छ पर्यावरण नागरिकों का मौलिक अधिकार है और राज्य इस अधिकार को प्रदान करना सुनिश्चित करे। जस्टिस गोयल ने राज्य से अपने अभिप्राय को स्पष्ट करते हुए कहा कि इसमें केवल सरकारी अधिकारी ही नही बल्कि हम सभी नागरिक आते हैं।
उन्होंने कहा कि कोई भी कार्य अकेले सरकार नही कर सकती, उसमें सभी नागरिकों के सहयोग की आवश्यकता होती है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सबका साथ सबका विकास नारे का उल्लेख करते हुए जस्टिस गोयल ने कहा कि यह केवल एक नारा नही है बल्कि हमारी संस्कृति का हिस्सा है। जस्टिस गोयल ने अपने संबोधन में कहा कि राज्य सरकारें सभी को साथ लेकर लोगों को पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरूक करें और सरकार इसके लिए बेहतर नेतृत्व प्रदान करे।
वे आज गुरूग्राम में पर्यावरण विषय पर आयोजित दो दिवसीय रीजनल कान्फ्रेंस के दूसरे दिन बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। इस दो दिवसीय कान्फ्रेंस में पाॅलिसी बनाने वालों से लेकर उसे लागू करने वाले दिल्ली, हरियाणा तथा उत्तर प्रदेश के अधिकारीगण व हितधारकों ने भाग लिया। एनजीटी की कई कमेटियों के सदस्य भी इस कान्फ्रेंस में शामिल हुए।
जस्टिस प्रीतम पाल द्वारा अपने संबोधन के दौरान किए गए आह्वान जिसमें उन्होंने अगले 30 दिन के बाद हरियाणा से गुजरने वाले सभी राष्ट्रीय राजमार्ग, राज्यीय राजमार्ग तथा रेल पटरियों के साथ गंदगी नही दिखाई देगी, का आह्वान पूरे प्रदेशवासियों से किया था , का उल्लेख करते हुए आशा जताई कि हरियाणावासी इसे जरूर पूरा करेंगे। चूंकि यह कान्फ्रेंस गुरूग्राम में आयोजित हो रही है इसलिए प्र्यावरण संरक्षण और प्रदूषण कम करने की दिशा में गुरूग्राम तथा हरियाणा को मॉडल के रूप में बनकर उभरना चाहिए ताकि यह राज्य दूसरो के लिए अनुकरणीय बन सके। जस्टिस प्रीतमपाल ने अपने संबोधन में कहा था कि एक महीने के उपरांत जिस भी जिले में हाईवे तथा रेल पटरियों के साथ सफाई का सराहनीय कार्य पाया जाएगा उस जिले के अधिकारियों को सम्मानित करने की अनुशंसा की जाएगी।
जस्टिस गोयल नेे कहा कि 50 साल पहले किसी ने सोचा भी नहीं था कि पर्यावरण प्रदूषण हमारे लिए इतनी गंभीर समस्या हो जाएगी। हम नदी का पानी नहीं पी सकेंगे और साफ हवा में सांस नहीं ले सकेंगे। वर्ष 1972 में स्कॉटहोम कान्फ्रेंस में विश्व के कई देशों ने पहली बार इस विषय पर चिंता जाहिर की और कहा कि प्रकृति से जितना हम ले रहे हैं अगर हमने वापिस नहीं दिया तो हमारे लिए गंभीर संकट पैदा हो जाएगा। उन्होंने कहा कि लाखों ग्रहों में से सिर्फ पृथ्वी ही ऐसा गृह है जहां पर जीवन है। अगर हम प्रकृति से लेने और उसे वापिस लौटाने में संतुलन नहीं रखेंगे तो प्रलय आना तय है। अगर हमें दुनिया को बचाना है तो पर्यावरण को भी बचाना होगा। देश में बढ़ते प्रदूषण पर चिंता जाहिर करते हुए जस्टिस गोयल ने केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा दिए गए आंकड़े प्रस्तुत करते हुए बताया कि देश की 351 नदियां, 122 शहर और 100 औद्योगिक क्षेत्र पूरी तरह से प्रदूषित हो चुके हैं। स्थिति ज्यादा गंभीर है और इसका समाधान करने की क्षमता भी हमारे पास है लेकिन हमें यह पता ही नही है कि हमें करना क्या है। उन्होंने कहा कि प्रदूषण और गंदगी का वैज्ञानिक ढंग से निस्तारण किया जा सकता है।
उन्होंने अत्यधिक भूजल दोहन रोकने और प्रयुक्त पानी का शोधन कर इसे पुनः प्रयोग करने की आवश्यकता पर भी बल दिया। उन्होंने कान्फ्रेंस के आयोजन के लिए हरियाणा सरकार की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह कार्यक्रम न केवल हरियाणा को नया रास्ता दिखाएगा बल्कि आशा है कि इससे पूरे देश को नई दिशा मिलेगी।
राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण द्वारा घग्गर नदी एवं ठोस कचरा प्रबंधन के लिए गठित कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष जस्टिस (सेवानिवृत) प्रीतमपाल सिंह ने रोहतक व परवाणु में कचरा प्रबंधन के लिए किए गए कार्यों का उदाहरण देते हुए सम्मेलन में उपस्थित हितधारकों से कहा कि स्वच्छता व पर्यावरण संरक्षण का कार्य केवल सरकारी स्तर पर ही नहीं बल्कि बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक को इसमें भागीदार बनाते हुए एक जन आंदोलन बनाना होगा।
दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व जस्टिस एसपी गर्ग ने कहा कि इस कार्यक्रम के आयोजन का सबसे बड़ा उद्देश्य प्रदूषण नियंत्रण व कचरा प्रबंधन है। इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए विधि द्वारा स्थापित एक ऐसी संस्था की जरूरत है जिसका प्रदूषण फैलाने वालों में एक भय हो। उन्होंने कहा कि एनजीटी ने दिल्ली में 1200 जल स्रोतों का नवीनीकरण का निर्णय लिया। इनमें से काफी पर अतिक्रमण हो चुका था और काफी तालाब प्रदूषित पड़े थे। दिल्ली जल बोर्ड ने सबसे पहले 155 तालाबों के नवीनीकरण का प्रस्ताव तैयार किया है। आईआईटी दिल्ली को इसमें कंसलटेंसी एजेंसी नियुक्त किया। यह बड़ी खुशी की बात है कि हमने 91 जलस्रोतों को रिवाईज कर दिया है और 95 अन्य जलस्रोतों को सितंबर 2020 तक रिवाईज कर देंगे। स्कूल-कालेजों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम शुरू करवाए और शोधित जल को बागवानी में प्रयोग कर कुछ नए कदम उठाए गए।
इस अवसर पर सीपीसीबी के चेयरमैन सी पी एस परिहार ने कहा कि हम सभी को पर्यावरण संबंधी विषयों को समझते हुए इस दिशा में एकजुट होकर प्रयास करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हमें शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों को एक साथ लेकर चलना होगा। उन्होंने कहा कि रिसायकिल व रियूज की दिशा में आगे बढ़ते हुए हमें कचरे का प्रबंधन करना चाहिए। हमें कचरे से रेवेन्यू जनरेट करने की तरफ ध्यान केन्द्रित करना चाहिए ताकि इससे आमदनी के साधन जुटाए जा सके। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संबंधी विषय में अधिक से अधिक लोगों की भागीदारी सुनिश्चित की जानी अत्यंत आवश्यक है ताकि इसे जन आंदोलन बनाया जा सके।
हरियाणा की मुख्य सचिव केशनी आनंद अरोड़ा ने कहा कि हरियाणा सरकार द्वारा वेस्ट वाटर का इस्तेमाल करने को लेकर पाॅलिसी भी बनाई गई है। इस पाॅलिसी के तहत वर्ष-2030 तक 80 प्रतिशत वेस्ट वाटर का इस्तेमाल करने की योजना बनाई गई है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में शहरी स्थानीय निकाय द्वारा 146 एसटीपी के माध्यम से 1500 एमएलडी पानी शोधित किया जा रहा है जिनकी सप्लाई प्रदेश के 200 घरों मे की जा रही है।। इसके अलावा, जल शक्ति अभियान के तहत भूमिगत जल को रिचार्ज करने में आज हरियाणा पहले स्थान पर है। प्रदेष में वैस्ट वाटर मैनेजमेट कमेटी का भी गठन किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि प्रदेश के 92 प्रतिशत वार्डों में 100 प्रतिशत कचरे का डोर टू डोर कलेक्शन किया जा रहा है। इनमे ंसे 60 प्रतिशत वार्डों में सोर्स सैगरीगेशन किया जा रहा है। इसके अलावा, प्रदेश के 22 जिलों में 662 सोलिड वेस्ट मैनेजमेंट लागू किए जा चुके है जबकि 477 लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट प्रौजेक्ट पूरे हो चुके हैं। ग्रामीण क्षेत्रो के लिए किए जाने वाले स्वच्छ ग्रामीण सर्वेक्षण 2018-19 में हरियाणा ने देश में दूसरा स्थान प्राप्त किया है।
कान्फ्रेंस में पर्यावरण विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव धीरा खंडेलवाल ने कहा कि हमें पाॅल्यूशन का नही बल्कि साॅल्यूशन का पार्ट बनना है। उन्होंने कहा कि इस कान्फ्रेंस में हरियाणा,दिल्ली व उत्तर प्रदेश के विभिन्न विभागों शहरी स्थानीय निकाय, सिंचाई विभाग, जनस्वास्थ्य अभियंत्रिकी, प्रदूषण नियंत्रण व नगर निगम के अधिकारियों द्वारा वेस्ट मैनेजमेंट को लेकर बेस्ट प्रैक्टिसिज व अनुभवों को सांझा किया जा रहा है ताकि उन्हें ध्यान में रखते हुए भविष्य में परफेक्ट इन्वायमेंट सोल्यूशन निकाले जा सके। उन्होंने कान्फ्रेंस में प्रकृृति पर आधारित कविता भी सुनाई जिसका विषय ‘मै तुम्हारी सहचरी‘था।
इस अवसर पर यूपी के लिए गठित एनजीटी कमेटी के चेयरमैन डा़ अनूप चंद्र पांडे , पंजाब एनजीटी कमेटी के सदस्य सुबोध चंद्र अग्रवाल व जस्टिस जसबीर सिंह , यमुना माॅनीटरिंग कमेटी के सदस्य बी एस सजवान , घग्गर तथा ठोस कचरा प्रबंधन के लिए गठित एनजीटी कमेटी के सदस्य उर्वशी गुलाटी , स्वामी संपूर्णानंद, सीपीसीबी के चेयरमैन एस पीएस परिहार, हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन अशोक खेत्रपाल, शहरी स्थानीय निकाय के प्रधान सचिव वी उमाशंकर सहित कई वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित थे।