नई दिल्ली। केन्द्रीय पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस एवं इस्पात मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा है कि पेट्रोलियम उत्पादों को वस्तु एंव सेवा कर-जीएसटी के दायरे में लाया जाना चाहिए। नई दिल्ली में आज सीईआरए वीक द्वारा आयोजित तीसरे इंडिया एनर्जी फोरम को संबोधित करते हुए श्री प्रधान ने वित्त मंत्री से अनुरोध किया कि यह मामला जीएसटी परिषद् के विचारार्थ भेजा जाए और हवाई ईंधन -एटीएफ तथा प्राकृतिक गैस पर जीएसटी लगाने के साथ पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने की पहल कि जाए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के निर्णायक नेतृत्व में दो साल पहले ऐतिहासिक कर सुधार के रूप में जीएसटी व्यवस्था शुरु की गई थी। पेट्रोलियम क्षेत्र की जटिलता तथा इस क्षेत्र में राज्य सरकारों की राजस्व निर्भरता को देखते हुए पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है, पर अब पेट्रोलियम उद्योग की ओर से इसे जीएसटी के दायरे में लाने की लगातार मांग की जा रही है।
श्री प्रधान ने कहा कि देश में सभी के लिए ऊर्जा सुनिश्चित करने के लक्ष्य को देखते हुए कोई भी ऊर्जा का अकेला स्रोत देश में बढ़ती ऊर्जा मांग को पूरा नहीं कर पाएगा। ऐसे में सभी व्यावसायिक ऊर्जा स्रोतों को मिलाना ही एकमात्र विकल्प है। उन्होंने कहा कि भारत ऊर्जा क्षेत्र में बदलाव की प्रक्रिया की रूप रेखा को एक जिम्मेदार तरीके से तय करेगा। .
केन्द्रीय मंत्री ने देश के तेल एंव प्राकृतिक गैस पारिस्थितिकी तंत्र को पुनर्जीवित करने तथा अनुकूल व्यापार वातावरण बनाने के लिए हाइड्रोकार्बन नीति फ्रेमवर्क में आमूल बदलाव लाने के सरकारी प्रयासों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि सउदी अरब की अरामको के साथ ही एडनॉक,बीपी,शेल,टोटल,रोसनेट और एक्सॉन मोबिल जैसी दुनिया की बड़ी तेल कंपनियों की देश में बढ़ती उपस्थिति भारत के विकासक्रम में वैश्विक निवेशकों के भरोसे का प्रमाण है उन्होंने कहा, “मुझे भारत के लिए, और दुनिया के लिए मेकइन इंडिया मुहिम में शामिल हो रहे निवेशकों को देखकर खुशी हुयी है।”
श्री प्रधान में ने कहा कि खुला क्षेत्रफल लाइसेंसिंग नीति –ओएएलपी के तहत सरकार तीन राउंड की सफल बोली लगा चुकी है जबकी दो राउंड बोली डीएसएफ के तहत लगायी जा चुकी है। इन बोली प्रक्रियों के जरिए देश में तेल एंव प्राकृतिक गैस के खनन और उत्पादन के क्षेत्र में 2023 तक 58 अरब डॉलर के अनुमानित निवेश की उम्मीद है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में गैस आधारित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए विशेष जोर दिया जा रहा है। मुझे यह बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि गैस पाइप लाइन, टर्मिनलों,और शहरों में गैस बुनियादी ढ़ांचे के निर्माण क्षेत्र में 60 अरब डॉलर का अनुमानित निवेश पंक्तिबद्ध है। ये काम विभिन्न चरणों में हो रहे है। उन्होंने कहा कि शहरी क्षेत्र में गैस वितरण नेटवर्क आने वाले समय में देश की 70 फीसदी आबादी तक अपनी पहुंच बना लेगा। इसके जरिए लोगों कब कार्बन उत्सर्जन वाली प्राकृतिक गैस उपलब्ध होगी।
पेट्रोलियम मंत्री ने भारत को कम कार्बन उत्सर्जन वाली अर्थव्यवस्था बनाने की सरकारी प्रतिबद्धता दोहराते हुए कहा कि देश में प्रति व्यक्ति कार्बन उत्सर्जन वैश्विक औसत और विशेषकर ओईसीडी देशों के औसत से काफी कम है। डाउन स्ट्रीम क्षेत्र का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र को पूरी तरह से उदार बना दिया गया है। उन्होंने कहा कि पेट्रोलियम उत्पादों का संचालित बाजार मूल्य कच्चे तेल के अंतरराष्ट्रीय मूल्यों में हो रहे बदलावों के अनुरूप है। उन्होंने कहा कि देश का ईंधन मानक दुनिया के बेहतरीन मानकों के बराबर है। देश में 1 अप्रैल 2020 से बीएस पांच वाला ईंधन उपलब्ध होने लगेगा।
श्री प्रधान ने कहा कि ऊर्जा स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए जैव ईंधन पर जोर दिया जा रहा है। नयी जैव ईंधन नीति में विभिन्न प्रकार के कृषि अवशेषों तथा शहरी कचरे से ईंधन बनाने की परिकल्पना की गयी है। उन्होंने कहा कि यह नीति किसानों को अन्नदाता से ऊर्जा दाता की भूमिका में ले आएगी। उन्होंने कहा कि बॉयोमास से बायोगैस बनाने के लिए देश के विभिन्न हिस्सों में 5 हजार संपीडि़त बायोगैस संयत्र लगाने का लक्ष्य रखा गया है।ये संयंत्र निजी उद्यमियों उद्मियों द्वारा लगाए जा रहे हैं।
श्री प्रधान ने कहा कि तेल आयात पर निर्भरता कम करने के लिए 2022 तक पेट्रोल में 10 प्रतिशत एथेनॉल मिलाने का लक्ष्य रखा है। इससे जहां एक ओर कृषि क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा वही दूसरी ओर पर्यावरण अनुकूल ईँधन के इस्तेमाल को प्रोत्साहित किया जा सकेगा। देश में इस्तेमाल हो चुके खाद्य तेल को बॉयोडीजल में बदलने के लिए 100 से ज्यादा शहरों में व्यवस्था की गयी है।
सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने कहा कि भारत विदेशी निवेशकों का आकर्षक स्थल बनता जा रहा है। कॉपोरेट टैक्स घटाने की हाल की घोषणा का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि देश में निवेश के लिए अब अनुकूल माहौल बन चुका है। उन्होंने कहा कि कंपनी कानून ओर आईबीसी कोड में किये गये बदलाव का भी जिक्र किया और कहा कि अब नियमों के अनुपालन पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है। वित्त मंत्री ने भरोसा दिलाया की सरकार के लिए ऊर्जा क्षेत्र सर्वोच्च प्राथमिकता है। श्रीमती सीतारामन ने कहा कि इस क्षेत्र में निवेशकों के साथ किया गया वादा पूरा किया जायेगा। कोप -21 के लक्ष्यों को हासिल करने की सरकार की प्रतिबद्धता दोहराते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि इसके लिये देश में नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि भारत अपने ऊर्जा संसाधनों को बढ़ाना चाहता है। सरकार द्वारा देश में सभी लोगों को रसोई गैस तथा बिजली उपलब्ध कराने की सरकार की पहल की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार ने इसे मिशन मोड में लिया है ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को इसका लाभ मिल सके।
सीईआरए वीक द्वारा आयोजित तीसरे इंडिया एनर्जी फोरम का विषय- “न्यू इंडियाज एनर्जी @75 बैलेंसिंग एनर्जी एंड सस्टेनेबिलिटी” है। तीन दिवसीय इस सम्मेलन में 15 देशों और 300 कंपनियों के 1200 प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं।