नयी दिल्ली : दिल्ली की एक अदालत ने सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दायर एयरसेल-मैक्सिस मामलों में पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति को बृहस्पतिवार को अग्रिम जमानत दे दी। विशेष न्यायाधीश ओ पी सैनी ने चिदंबरम तथा उनके बेटे को राहत दे दी और उन्हें मामलों की जांच में शामिल होने का निर्देश दिया।
अदालत ने कहा, ‘‘गिरफ्तारी की स्थिति में उन्हें एक लाख रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि की जमानत पर रिहा किया जाए। आरोपियों को जांच में शामिल होने का निर्देश दिया जाता है।’’
अदालत ने कहा कि दोनों जांच एजेंसियां मामले में दलील देने की जगह शिकायत दायर करने के बाद से आगे और जांच के बहाने तारीख पर तारीख मांग रही हैं।
इसने यह भी कहा कि एयरसेल-मैक्सिस मामलों की जांच में दोनों जांच एजेंसियों ने काफी देरी की है, जबकि शुरुआत से ही लगभग समूची सामग्री उनके कब्जे में थी।
अदालत ने कहा कि आगे और जांच के बहाने तारीख पर तारीख मांगने का एजेंसियों का आचरण अपने आप में बहुत कुछ कहता है तथा इसमें आगे कुछ और कहने की जरूरत नहीं है।
इसने कहा, ‘‘चिदंबरम पिता-पुत्र के उसी तरह का अपराध करने की संभावना नहीं है क्योंकि वे अब सरकार में आधिकारिक पद पर नहीं हैं।’’
अदालत ने कहा कि चिदंबरम पिता-पुत्र के खिलाफ एजेंसियों के आरोप गंभीर प्रकृति के नहीं हैं क्योंकि शोधित धन केवल 1.13 करोड़ रुपये का है।
इसने कहा, ‘‘आरोपियों के खिलाफ आरोप गंभीर प्रकृति के नहीं हैं क्योंकि शोधित धन केवल 1.13 करोड़ रुपये का है, जो दयानिधि मारन और अन्य के खिलाफ आरोपों के मुकाबले काफी कम है।’’
अदालत ने कहा कि मारन के मामले में रिश्वत की राशि 749 करोड़ रुपये की थी, लेकिन उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया।
इसने कहा कि जांच एजेंसियों को दो एक जैसे आरोपियों के बीच भेदभाव नहीं करना चाहिए क्योंकि यह कानून के खिलाफ है।
चिदंबरम पिता-पुत्र 305 करोड़ रुपये के आईएनएक्स मीडिया मामले के साथ ही एयरसेल-मैक्सिस मामले में भी एजेंसियों की जांच के घेरे में हैं।