नई दिल्ली : केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज संसद में 2018-19 की आर्थिक समीक्षा प्रस्तुत की। आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि भारत की प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत वैश्विक औसत का एक तिहाई है, जिसे ढ़ाई गुना बढ़ाकर उच्च मध्यम आय समूह में प्रवेश करने के लिए 2010 के मूल्यों में प्रति व्यक्ति वास्तविक जीडीपी 5000 डॉलर करने की आवश्यकता है। आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि भारत को 0.8 के एचडीआई स्तर तक पहुंचाने के लिए अपनी प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत चार गुना बढ़ानी होगी। इसके लिए बड़े स्तर पर संसाधन की आवश्यकता होगी, जिसे समय के अनुसार बढ़ाना होगा।
आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि भारत की आबादी विश्व जनसंख्या का लगभग 18 प्रतिशत है, लेकिन भारत विश्व के प्राथमिक ऊर्जा का लगभग 6 प्रतिशत उपयोग करता है। वैश्विक प्रति व्यक्ति 1.8 तेल समतुल्य औसत की तुलना में भारत की प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत 0.6 टन तेल समतुल्य के बराबर है।
ऊर्जा खपत तथा विभिन्न सामाजिक संकेतकों के बीच घनिष्ट संपर्क की चर्चा करते हुए आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि ऊर्जा किसी भी अर्थव्यवस्था की विकास प्रक्रिया का स्तम्भ है। सरकार की प्राथमिकता सतत् तथा स्वच्छ ऊर्जा संसाधनों की पहुंच सुनिश्चित करना है। आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि भारत का आर्थिक भविष्य और समृद्धि उसके द्वारा अपने सभी नागरिकों को किफायती, विश्वसनीय तथा सतत् ऊर्जा प्रदान करने की क्षमता पर निर्भर करती है।
ऊर्जा सक्षमता- सुखद स्थिति
आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि ऊर्जा सक्षमता एक रणनीति है, जो ऊर्जा संसाधनों के बेहतर उपयोग के माध्यम से सुखद स्थिति ला सकती है। समीक्षा में कहा गया है कि भविष्य के नीतिगत निर्देश में अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में ऊर्जा सक्षमता कार्यक्रमों को बढ़ाने के साथ-साथ अधिक समृद्धि के लिए देश के प्राकृतिक संसाधनों के बेहतर इस्तेमाल के तकनीकी समाधान शामिल किए जाने चाहिए।
समीक्षा में बीईई अध्ययन की चर्चा करते हुए कहा गया है कि ऊर्जा सक्षमता कार्यक्रम से 2017-18 में 53,000 करोड़ रुपये की कुल लागत बचत हुई है और इससे 108.28 मिलियन टन कार्बन उत्सर्जन कम करने में मदद मिली है। ऐसा मुख्य रूप से तीन कार्यक्रमों – परफॉर्म एचीव एंड ट्रेड (पीएटी), उजाला तथा स्टैंर्ड और लेबलिंग की ऊर्जा तीव्रता के कारण हुआ है।
आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि भारत में जीडीपी की ऊर्जा तीव्रता विकसित देशों की तुलना में काफी अधिक घटकर प्रति व्यक्ति जीडीपी के स्तर पर आ गया है। भारत की जीडीपी प्राथमिक ऊर्जा तीव्रता 1990 के 0.0004 तेल समतुल्य से घटकर 2017 में 0.0002 तेल समतुल्य हो गई।