नई दिल्ली। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से किसानों को नगद सहयोग देने वाली किसान सम्मान निधि योजना के सामने आचार संहिता रोड़ा बन कर खड़ी हो गई है। इस स्कीम के तहत सालाना दी जाने वाली 6000 रुपये की सहायता देश के करीब सवा सात करोड़ किसानों को अभी तक नहीं मिली है। अब यह राशि उन्हें मिलेगी या नहीं, इसका फैसला चुनाव आयोग करेगा। कृषि मंत्रालय को आयोग के संकेत का इंतजार है।
मीडिया की खबर के अनुसार केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने चुनाव आयोग से पत्र लिख कर जनहित के आधार पर अनुमति मांगी है। बताया जाता है कि ऐसे किसानों को से संख्या काफी अधिक है जिन्हें केंद्र सरकार लाभार्थी तो मानती है लेकिन उन्होंने अब तक इस योजना का लाभ नहीं मिला है क्योंकि इसके लिए आवश्यक रजिस्ट्रेशन और वेरीफिकेशन करवाने देरी हुई और इनका नाम व खाता विवरण केंद्र सरकार के पास नहीं पहिंचा था।
नरेंद्र मोदी सरकार इन किसानों को यह राशि चुनाव से पूर्व ही देना चाहती है। कृषि मंत्रालय ने इस मामले पर चुनाव आयोग से अनुमति मांगी है। अब मंत्रालय को आयोग के निर्देश का इंतजार है।
कहा यह जा रहा है कि पहली खेप में जिन 4.75 करोड़ किसानों को 2000 रु की पहली किस्त दी जा चुकी है उन्हें दूसरी किस्त भी भेजने की तैयारी है। तर्क यह है कि उन पर आचार संहिता आड़े नहीं आएगी।
बहरहाल अगर चुनाव आयोग इसकी अनुमति दे देता है तो भी मोदी सरकार की बल्ले बल्ले है और अगर अनुमति मिली तब भी उन्हें किसानों को यह बताने का मौका मिला जाएगा कि विपक्ष के विरोध के कारण किसानों को वे सम्मान राशि नहीं दे पाए। इस मामले में कांग्रेस पार्टी की ओर से रुख अभी स्पष्ट नहीं किया गया है। अगर कांग्रेस इसका विरोध करती है तो उन्हें किसानों ल कोपभाजन बनना पड़ सकता है।