नई दिल्ली । कांग्रेस पार्टी के राज्यसभा में नेता गुलाम नवी आजाद ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि हमने राज्यसभा के चेयरमैन एम वेंकैया नायडू से 1 सप्ताह पूर्व ही मिलने का समय मांगा था। उनके कार्यालय ने नॉर्थ ईस्ट में उनकी व्यस्तता को देखते हुए आज मिलने का समय दिया था। हम सात पार्टियों के प्रतिनिधि आज राज्यसभा चेयरमैन श्री नायडू से मिले और देश के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग का नोटिस दिया।
उन्होंने कहा कि हमने उनसे अपने नोटिस के बारे में बताया और इसके लिए आवश्यक संख्या संविधान के अनुसार न्यूनतम 50 चाहिए इसलिए हमने आज 71 मेंबर ऑफ पार्लियामेंट के संयुक्त मोशन राज्यसभा के चेयरमैन को सौंपा । इनमे 5 आरोप लगाए हैं। इनमें से 7 ऐसे सांसदों के साइन भी हैं जो अब राज्यसभा से रिटायर हो चुके हैं इसलिए उन्होंने राज्यसभा के सभापति से उन सांसदों के हस्ताक्षर को कंसीडर किए बिना इस मौसम को एक्सेप्ट करने का आग्रह किया।
हम उम्मीद करते हैं कि राज्यसभा के सभापति इसे सकारात्मक रूप से लेंगे और हमारे नोटिस को संसद की कार्यवाही के लिए एक्सेप्ट करेंगे ।
प्रेस कॉन्फ्रेंस को पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने भी संबोधित किया। उन्होंने कहा कि संविधान के अंतर्गत अगर कोई भी सुप्रीम कोर्ट जज मिसबिहेव करता है तो उसको पार्लिमेंट की अनुमति से इंक्वायरी होने के बाद रिमूव कर सकते हैं । इससे संबंधित हमने एक मोशन उपराष्ट्रपति को सौंपा । उनका कहना था कि अव देश जरूर जानना चाहेगा कि हमने ऐसा क्यों किया और हमारा कर्तव्य बनता है कि हम इसके पीछे के कारण को विस्तार से बताएं। हम चाहते हैं कि ऐसा कभी नहीं करना पड़े क्योंकि देश की न्याय व्यवस्था का एक विशेष स्थान है । बिना न्याय व्यवस्था के डेमोक्रेसी आगे नहीं बढ़ सकती। यह किसी भी प्रकार की आशंका से परे होना चाहिए। कपिल सिब्बल ने राज्यसभा चेयरमैन को सौंपी मोशन की भाषा को प्रेस कॉन्फ्रेंस में पढ़कर सुनाया ।
कपिल सिब्बल ने कहा कि चीफ जस्टिस के रूप में दीपक मिश्रा का व्यवहार संविधान के अनुरूप नहीं रहा है । उनके कामकाज के तरीके से न्याय व्यवस्था पर सवाल खड़े हुए हैं। सुप्रीम कोर्ट की व्यवस्था में विवाद पैदा हुए और सुप्रीम कोर्ट के ही 4 जजों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि सुप्रीम कोर्ट के कामकाज ऑर्डर में नहीं है । यह हमने आरोप नहीं लगाया बल्कि यह सुप्रीम कोर्ट के जजों का कहना है। सिब्बल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के जजों की नाराजगी और उनकी शिकायतों को हल करने की उम्मीद चीफ जस्टिस से हम लोग कर रहे थे लेकिन उसे जिस तरीके से डील किया गया यह जुडिशरी के इंडिपेंडेंस पर सवाल खड़ा कर रहा है। उनका कहना था कि जुडिशरी इन अंडर थ्रेट।
उन्होंने कहा कि हलाकि हम ऐसी स्थिति पैदा नहीं करना चाहते थे लेकिन देश में लोकतंत्र को बचाने के लिए और न्याय व्यवस्था की गरिमा को बनाए रखने के लिए हम राज्यसभा के सदस्य संविधान प्रदत्त महाभियोग के प्रस्ताव लाने को मजबूर हैं। उन्होंने उड़ीसा हाईकोर्ट से संबंधित मसले इसका जिक्र भी किया जिस में सीबीआई ने मामला दर्ज किया है ।
दूसरा आरोप प्रसाद एजुकेशन फाउंडेशन से संबंधित होने का दावा किया उन्होंने कहा कि इस मामले की जांच के दायरे में चीफ जस्टिस भी हैं। उन्होंने एक जमीन से संबंधित मामले का भी जिक्र किया ।
उन्होंने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि इन मामलों की इंक्वायरी की जाएगी और उन्होंने कहा कि देश के चीफ जस्टिस के पद की जो मर्यादा होनी चाहिए उसका जस्टिस दीपक मिश्रा ने उल्लंघन किया है। उस ओहदे की हम इज्जत करते हैं लेकिन उस ओहदे की चीफ जस्टिस साहब को भी इज्जत करनी चाहिए। हमें ऐसा लगा कि जैसा कि न्यायाधीशों ने सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों ने पब्लिक में आकर प्रेस कॉन्फ्रेंस के द्वारा यह बातें देश के सामने रखी और कहा अगर चीफ जस्टिस साहब का ऐसा ही रवैया रहेगा तो लोकतंत्र खतरे में है। लोकतंत्र सरवाइव नहीं कर पायेगा। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि न्यायाधीशों ने कई प्रयास किए लेकिन सुप्रीम कोर्ट के काम करने की जो प्रोसीजर है उस को बदलने की कोशिश हुई ।जुडिशरी की स्वतंत्रता के साथ खिलवाड़ हुआ।