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तीन तलाक बिल के खिलाफ मेवात की महिलाओं ने सरकार के खिलाफ किया विरोध प्रदर्षन
शरीयत सुरक्षा मुहिम संगठन के तहत किया गया प्रदर्षन
प्रदर्षन में हजारों महिलाओं ने भाग लिया
यूनुस अलवी
मेवात : मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के तहत काम कर रही शरीयत तहाफ्फुज मुहिम (शरीयत सुरक्षा मुहिम) के तहत मंगलवार को मेवात जिला के सबसे बडे गांव साकरस में तीन तलाक बिल के खिलाफ मेवात की भारी संख्या में महिलाओं ने सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्षन किया। बाद में मेवात डीसी की मार्फत राट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा गया। प्रदर्षन का आयोजन शरीयत सुरक्षा मुहिम मेवात की अध्यक्ष आलिमा मुमताज, मुफ्ती सलीम महासचिव आल मेवात जमीयत उलमा हिन्द ने किया जबकि प्रदर्षन मेंशरीयत सुरक्षा मुहिम कमेठी की राट्रीय अध्यक्षा प्रोफेसर तैयबा सुलताना हेदराबाद और मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड की सदस्य आमना रिजवान लखनऊ ने बतौर मुख्य अतिथि भाग लिया। साकरस गांव स्थित मरदसा जामिया इस्लाहुल बनात कास्मियां में समारोह का आयोजित किया गया। इसके बाद महिलाओं ने हाथों में बेनर लेकर सरकार के खिलाफ मौन जूलूस निकाला।
इस मौके पर मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड की सदस्य आमना रिजवान लखनऊ ने कहा कि सरकार जो तीन तलाक पर बिल ला रही है वह महिलाओं के लिए खतरनाक बिल है, जिसे देश की महिलाऐं किसी भी कीमत पर बरदास्त नहीं करेगी। उनका कहना है कि शरीयत ने महिलाओं को पूरी सुरक्षा और आजादी दे रखी है। महिलाओं का कहना है कि सरकार को तीन तलाक पर मुदाखलत करने की कोई जरूरत नहीं हैं।
शरीयत सुरक्षा मुहिम कमेठी की राट्रीय अध्यक्षा प्रोफेसर तैयबा सुल्ताना हेदराबाद ने महिलाओं को सम्बोधित करने हुए कहा कि सरकार शरीयत के खिलाफ तीन तलाक पर जो बिल ला रही है वह पूरी तरह मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ है। महिलाओं ने कहा कि हमें जो शरीयत ने कानून दे रखा है वह उनके लिए काफी है। सरकार को इसमें कोई तबदीली नहीं करनी चाहिए।
आलिमा मुमताज, रूखसीना सलीम, रेहमति महूं का कहना है कि हम अपने शरीयत के कानून से खुश हैं। उन्होने कहा कि अगर प्रधान मंत्री को महिलाओं की ज्यादा ही फिक्र है तो वह अपनी पत्नि जशोदा बेन जैसी हजारों महिलाओं की फिक्र करें जिनको बिना तलाके ही छोड दिया जाता है। सरकार को अगर मुस्लिम महिलाओं की इतनी ही चिंता है तो वह उनके लिए शिक्षा के उच्च संस्थान स्थापित करें।
इस मौके पर महासचिव आल मेवात जमीयत उलमा हिन्द के मुफ्ती सलीम ने पर्दे के पीछे से महिलाओं के समारोह को सम्बोधित करते हुऐ कहा कि इसलाम ने जितनी आजादी और इज्जत महिलाओं को दी है उसकी किसी दूसरे मजहब में देखने को नहीं मिलती है। उनका कहना है कि मुस्लिम महिलाऐं अपने मजहब के कानून से खुश हैं ऐसे में सरकार को धर्म के अंदर हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।
इस मौके पर सलमा खातून महुँ, हसीना साकरस, शहरुनी साकरस, रुकयया, हकीमन, आसूबी, सरजीना खेडली, आईशा पुनहाना, हाफिज नसीर, मुफ्ती सलीम, मोलाना वसीम कासमी, मोलाना साबिर, मोलाना रिजवान, मोलाना फरीद, सहिद और मोलाना षाहिद भारी संख्या में आमिला और उलमा मौजूद थे।