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रा.स्व.संघ के उत्तर क्षेत्र संघचालक डॉ. बजरंग लाल गुप्ता का गीता पर व्याख्यान
नई दिल्ली, (धर्मेंद्र यादव) । श्रीमद्भागवतगीता ऐसा ग्रंथ है जो कर्तव्य–पथ पर चलने की प्रेरणा देता है। ‘’यह कहना है रा.स्व.संघ के उत्तर क्षेत्र संघचालक डॉ. बजरंग लाल गुप्ता का।
वे सोमवार को नई दिल्ली स्थित गांधी स्मृति, राजघाट में ‘गीता के विविध भाष्यों में निहित संदेश’ विषयक द्विदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम का आयोजन अखिल भारतीय साहित्य परिषद् तथा गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति के संयुक्त तत्वावधान में किया गया था।
संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए डॉ. गुप्ता ने कहा कि गीता में समत्व पर बहुत जोर दिया गया है। समत्व भाव प्राप्त करने की बात कही गई है। उन्होंने कहा कि गीता में समाहित ज्ञानयोग, भक्तियोग और कर्मयोग की बहुत चर्चा हुई है। लेकिन इसमें संगठनयोग का भी संदेश निहित है और यह महत्त्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि व्यक्ति मोह के कारण अपने कर्तव्य से च्युत होता है। गीता में अर्जुन स्वीकार करता है कि उसका मोह नष्ट हो गया है और स्मृति प्राप्त हो गयी है। आज दुर्भाग्य से जाति, पंथ, संप्रदाय और प्रांत को लेकर भेद प्रबल है। हम भूल गए हैं कि राष्ट्र की अस्मिता और पहचान क्या है, हम भ्रम में हैं।
इससे पूर्व एक चर्चा सत्र को संबोधित करते हुए दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने कहा कि गीता पूजा की सामग्री बनकर हमारे घर में रह गई है। जरूरत इस बात की है कि हम इसे अपने जीवन में उतारें।
समारोह को अखिल भारतीय साहित्य परिषद् के राष्ट्रीय संगठनमंत्री श्रीधर पराड़कर, महामंत्री ऋषि कुमार मिश्र, गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति की शोध अधिकारी गीता शुक्ला तथा स्वागत समिति के संरक्षक तिलक चांदना ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम का संचालन अखिल भारतीय साहित्य परिषद्, उत्तर क्षेत्र के प्रभारी एवं इंद्रप्रस्थ साहित्य भारती के संगठन मंत्री प्रवीण आर्य ने तथा धन्यवाद ज्ञापन इंद्रप्रस्थ साहित्य भारती के महामंत्री मनोज शर्मा ने किया।