अपनी संस्कृति और परम्पराओं पर करें गर्व, मनाएं भारतीय नववर्ष : अनुराग बख्शी

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अनन्द पार्क शिवाजी नगर एसोसिएशन द्वारा आयोजित सम्वंत पर्व 

इसी दिन सूर्योदय के साथ ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना आरम्भ की

गुरुग्राम ब्रेकिंग :  भारतीय संस्कृति और परम्पराओं पर गर्व होना चाहिए और भारतीय नववर्ष हर्ष उल्लास से मनाना चाहिए। ये उदगार भाजपा के वरिष्ष्ठ नेता और पूर्व आईआरएस अनुराग बख्शी ने व्यक्त किये हैं। ये बात उन्होंने आज सम्वंत के पर्व पर अनन्द पार्क शिवाजी नगर एसोसिएशन द्वारा आयोजित कार्यक्रम में अपने सम्बोधन में कही। आरडब्लयूए शिवाजी नगर के तत्वावधान में आयोजित इस समारोह में पहुंचने पर बख्शी का पुष्पवर्षा से स्वागत किया गया। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से यज्ञ हवन किया गया और वह भी विधि विधान से मंत्रोचार के साथ सभी के कल्याण के प्रार्थना की गई। हवन के पश्चात प्रसाद वितरण किया गया।

उपस्थित जन समुदाय को नव संवत, चैत्र नवरात्र और बंसत ऋतु के शुभारम्भ की बधाई और शुभकामनाएं देते हुए बख्शी ने कहा कि भारतीय नववर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को मनाया जाता है। इसका ऐतिहासिक महत्व है क्योंकि प्राचीन मान्यता के अनुसार इसी दिन सूर्योदय के साथ ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना आरम्भ की। सम्राट विक्रामादित्य ने इसी दिन अपना सम्राज्य स्थापित किया। उन्हीं के नाम पर विक्रमी संवत का शुभारम्भ होता है। भगवान राम का राजा अभिषेक भी इसी दिन हुआ और शक्ति और भक्ति के पर्व चैत्र नवरात्र का आरम्भ भी इसी दिन होता है। इसी दिन महर्षि दयानन्द सरस्वती ने आर्य समाज की स्थापना की। बसंत ऋतु का आरम्भ भी वर्ष प्रतिपदा से ही होता है। जो फूलों की सुंगध लिये, पकती फसलों की खुशहाली से भरी होती है। शुभ नक्षत्रों की स्थिति होने से किसी भी कार्य को शुरू करने के लिए ये दिन शुभ मुहर्त वाला होता है। इन सब कारणों से हम सबकों भारतीय नववर्ष पूरे जोश उल्लास के साम मनाना चाहिए।

हिंदू धर्म को लेकर फैली भ्रांतियों पर प्रकाश डालते हुए बख्शी ने कहा कि हिंदू कोई धर्म नहीं दर्शन है, जीवनशैली है और हिंदू शब्द का इस्तेमाल सबसे पहले मुस्लिम आक्रमणकारियों ने सिंधू नदी के पार रहने वाले लोगों के लिए किया। जो परशीयन भाषा में सिंधू से हिंदू हुआ और फिर हिंदू से हिंदुस्तान बना। बख्शी ने कहा कि आदिकाल में तो भारत में केवल सनातन धर्म था। सनातन यानी कभी न मिटने वाला, ना समाप्त होने वाला। इसीके साथ जुडे थे वो मूल्य जो सृष्टि के निर्माण के पहले भी सत्य थे। सृष्टि में भी प्रमाणिक है और सृष्टि के नष्ट होने के बाद भी प्रमाणिक रहेंगे। इन शाशवत नियमों, परम्पराओं का पालन करने वाले सनातन धर्मी कहलाएं।

 

बख्शी ने कहा कि धर्म यानि जो धारण करने योज्य है जो हमें सही मार्ग की ओर ले जाता है जो अखण्ड ब्रह्माण में विराजमान प्रत्येक वस्तु, जीवन का मूल है। जो संक्षेप में हमारी मूल प्राकृति है, स्वभाव है। इसका उदाहरण देते हुए बख्शी ने कहा कि जैसे चीनी की मूल प्रकृति मिठास है, पानी की मूल प्रकृति गीलापन है। उसी प्रकार मनुष्य की मूल प्रकृति है सेवा और प्रेम। नर सेवा ही नरायण सेवा है और प्रत्येक प्राणी से प्रेम का भाव ही हमें ईश्वर के समीप ला सकता है। यही धर्म है। अत: हमें जीवन में सेवा और प्रेम को मूल धर्म मानकर जीवन यापना करना चाहिए। इसी में हम सबका का कलयाण है विश्व का कल्याण है।

आज के समारोह में आरडब्लयूए शिवाजी नगर के महासचिव सुभाष खरबंदा, संरक्षक रामलाल मदान, सचिव राजेश दुआ, कोषाध्यक्ष किशन धींगडा, सोहनाराम मक्कड, सरदार गोबिंद सिंह, आनन्द पार्क शिवाजी नगर एसोसिएशन के प्रधान ओमप्रकाश अतरेजा, उप प्रधान तिलक आहुजा, महासचिव देव मुकरेजा, समाज सेवी संजय शर्मा, निर्मल चक्रवृति, श्री ज्ञान बहनजी, श्रीमती बंसल और मियांवाली कालोनी के प्रधान सुरेश चोधरी सहित बडी संख्या में महिलाएं और गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
अनुराग बख्शी

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