बांदा। मिडिया में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि उत्तर प्रदेश के हिस्से वाले बुंदेलखंड में सभी उन्नीस विधानसभा सीटें जीत कर सत्ता में काबिज होने वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ‘कर्ज’ और ‘मर्ज’ के बोझ तले दबे बुंदेली किसानों के दर्द का इल्लाज नहीं पाई है. कहा जा रहा है कि प्रदेश सरकार की ओर से शुरू की गयी ‘कर्जमाफी’ योजना में लाभान्वित किसानों की संख्या काफी कम है. राज्य सरकार की इस योजना के तहत सिर्फ बीस फीसदी लघु एवं सीमांत किसानों का ही कर्ज माफ हुआ है जबकि 80 प्रतिशत अब भी आस लगाए बैठे हैं कि उनके लिए भी कुछ निर्णय लिया जायेगा.
उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष विधानसभा चुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने किसानों के कर्ज माफ करने का वायदा किया था। इस वायदे के झांसे में आकर बुंदेलखंड के किसानों ने सभी उन्नीस विधानसभा की सीटें भाजपा की झोली में डाल दी।बाद में सरकार ने केवल एक लाख रुपये तक के ही कर्ज माफ करने का ऐलान किया । इस योजना से क्षेत्र के सात जिलों बांदा, चित्रकूट, महोबा, हमीरपुर, जालौन, झांसी और ललितपुर के 20 प्रतिशत छोटे किसानों को ही इसका फायदा पहुंचा. अस्सी फीसदी कर्जदार किसान अब भी कर्जमाफी की उम्मीद में हैं। मीडिया की खबर के अनुसार 11 दिसंबर 2017 तक लाभान्वित 20 प्रतिशत किसानों की कुल संख्या 2,39,453 बतायी गयी है. इन किसानों का 14 अरब, 60 करोड़, 85 लाख रुपये का ऋण माफ किया गया है।
खबर में यह दावा किया गया है कि ये आंकड़े राज्य सरकार की ओर से जारी किये गए है। खबर में विधान परिषद में कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही द्वारा सदस्य नसीमुद्दीन सिद्दीन के तारांकित दो प्रश्नों के दिए गए लिखित उत्तर का हवाला दिया गया है जिसमें बताया गया कि ‘11 दिसंबर 2017 तक बांदा के 38,990 लघु एवं सीमांत कृषकों का 2 अरब, 53 करोड़ 99 लाख रुपये, चित्रकूट के 19,756 किसानों का एक अरब, 15 करोड़, 95 लाख रुपये, हमीरपुर के 28,924 किसानों का एक अरब, 70 करोड़, 95 लाख रुपये, महोबा के 28,555 किसानों का एक अरब, 84 करोड़, 98 लाख रुपये, जालौन के 42,195 किानों का दो अरब, 68 करोड़, 98 लाख, झांसी के 45,539 किानों का दो अरब, 59 करोड़, 10 लाख और ललितपुर के लघु एवं सीमांत किसानों का कर्ज माफ किया गया है।
खबर में यह दावा किया गया है कि लगभग 80 प्रतिशत किसानों को राज्य सरकार की इस योजना का लाभ नहीं हुआ है. लगभग तीन दशक से प्राकृतिक आपदा से ‘कर्ज; और ‘मर्ज’ के बोझ तले दबा किसानों की हालत महाराष्ट्र के विदर्भ से भी ज्यादा बदतर है। कहा जा रहा है कि ‘बुंदेली किसानों के ऊपर अरबों रुपये जहां सरकारी कर्ज चढ़ा है, वहीं करोड़ों रुपये साहूकारों का कर्ज भी है।