पटना : लालू यादव और बिहार के सीएम नीतीश कुमार के बीच राजनीतिक लड़ाई अब एक दूसरे पर कानूनी पाशे फेंकने में तब्दील हो सकती है. राजद नेता ने आज फिर बुधवार को लगाये आरोप को दोहराया और नीतीश कुमार पर जमकर हमला बोला. लालू ने कहा कि नैतिकता और भ्रष्टाचार के लिए जीरो टोलेरेंस की बात करने वाले नीतीश कुमार ने डिप्टी तेजस्वी यादव पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते इस्तीफा नहीं दिया है, बल्कि खुद पर चल रहा मर्डर केस के भय से दिया है. उन्होंने कहा कि उन्हें भय लग रहा था कि अगर वे तेजस्वी से इस्तीफा मांगेगे तो फिर उनका मर्डर का मामला भी खुला सकता है.
लालू ने आरोप लगाया कि नीतीश कुमार ने 16 नवंबर 1991 को सीता राम सिंह की हत्या की. उन्होंने दावा किया कि नीतीश कुमार ने विधान परिषद सदस्य के रूप में दिए अपने हलफनामे में इस मामले का उल्लेख किया है .
क्या है पूरा मामला ?
बताया जाता है कि हत्या का यह मामला बिहार के बाढ़ से जुड़ा है. प्राप्त जानकारी के अनुसार नवम्बर 1991 में बिहार में हुए लोकसभा के मध्यावधि चुनाव में तब बाढ़ संसदीय क्षेत्र में सीताराम सिंह नाम के एक व्यक्ति की गोली मार कर हत्या कर दी गयी थी. उस समय ढीबर गांव निवासी अशोक सिंह ने नीतीश कुमार सहित कुछ अन्य लोगों पर हत्या का मुकदमा दर्ज कराया था. 1 सितम्बर 2009 को बाढ़ कोर्ट के तत्कालीन एसीजेएम रंजन कुमार ने इस मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को आरोपी मानते हुए उनपर ट्रायल शुरू करने का आदेश दिया था.
बाद में यह केस हाईकोर्ट में स्थानांतरित करा दिया गया. तभी से यह केस हाइकोर्ट में विचाराधीन है. दावा भी किया जा रहा है कि एक समय न्यायाधीश सीमा अली खान ने इस मामले में नीतीश की पैरवी कर रहे उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता सुरेंद्र सिंह की दलीलों को सुनने के बाद अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था. बाद में फिर मामले पर सुनवाई शुरू की गयी जो अभी भी चल रही है.
जैसा कि राजद नेता लालू यादव ने आरोप लगाया है कि सीताराम सिंह की हत्या के मामले में बाढ़ के अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत ने नीतीश और दुलारचंद को छोड़कर अन्य तीन आरोपियों के खिलाफ संज्ञान लिया था. उनमें से एक आरोपी योगेंद्र यादव ने पटना उच्च न्यायालय में यचिका दायर क्र इस पर रोक लगाने की मांग की थी. उस याचिका पर उच्च न्यायालय ने आगे की कार्रवाई पर रोक लगा दी.
बताया जाता है कि सीताराम सिंह हत्या मामले के गवाह अशोक सिंह ने बाद में बाढ़ के अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में एक प्रतिवाद सह शिकायत पत्र दायर कर आरोप लगाया था कि बाढ़ संसदीय उपचुनाव के दौरान 16 नवंबर वर्ष 1991 को वे सीता राम सिंह सहित अन्य लोगों के साथ मतदान करने गये थे . मतदान के दौरान वहां जनता दल के उम्मीदवार नीतीश कुमार, दुलारचंद यादव सहित अन्य लोगों के साथ पहुंचे और उन्हें वोट देने से मना किया.
अशोक सिंह ने अपनि शिकायत में यह भी कहा था कि नीतीश कुमार के साथ उस समय तत्कालीन मोकामा विधायक दिलीप सिंह, दुलारचंद यादव, योगेंद्र प्रसाद और बौधु यादव भी थे. सभी के पास बंदूक, रायफल और पिस्तौल थे. अशोक सिंह ने आगे आरोप लगाया था कि जब सीताराम ने इन लोगों की बात नहीं मानी तो नीतीश ने उन्हें जान से मारने की नीयत से अपनी राइफल से गोली चला दी, जिससे घटनास्थल पर ही उसकी मौत हो गयी. उनके साथ आये अन्य लोगों द्वारा की गयी गोलीबारी से सुरेश सिंह, मौली सिंह, मन्नू सिंह एवं रामबाबू सिंह घायल हो गये थे.
अशोक सिंह की शिकायत पर बाढ़ के अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी रंजन कुमार ने 31 अगस्त 2010 को सिंह के बयान और दो गवाहों रामानंद सिंह और कैलू महतो द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य के आधार पर अपराध दंड संहिता 302 के अंतर्गत नीतीश और दुलारचंद यादव को अदालत के समक्ष गत नौ सितंबर को उपस्थित होने का निर्देश दिया था. बाद में नीतीश कुमार ने मामले में पटना उच्च न्यायालय का रुख किया. नितीश कुमार की याचिका पर उच्च न्यायालय ने बाढ़ अनुमंडल अदालत के उक्त आदेश पर रोक लगा दी थी. आदालत ने इस कांड में नीतीश से जुड़े सभी मामलों को उच्च न्यायालय भेजने को कहा था.