सरस मेला 2024 : ग्रामीण महिलाओं का हुनर और भारतीय कला का अद्वितीय संगम

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-महिलाओं द्वारा तैयार उत्पादों पर 10 से 20 प्रतिशत की अतिरिक्त छूट

गुरूग्राम, 27 अक्टूबर। ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा आयोजित व राष्ट्रीय ग्रामीण विकास व पंचायती राज संस्थान द्वारा समर्थित ‘सरस आजीविका मेला 2024’ में इस बार ग्रामीण भारत की कला और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए लखपति दीदियां अपने अनूठे उत्पादों के साथ अपनी उपस्थिति दर्ज कर रही हैं। इस मेले में दीवाली के खास अवसर पर महिलाओं द्वारा तैयार किए गए उत्पादों पर 10 से 20 प्रतिशत तक की आकर्षक छूट उपलब्ध है।

ग्रामीण क्षेत्रों की ‘लखपति दीदियाँ’ द्वारा बनाए गए उत्पादों में घरेलू सजावट, हैंडीक्राफ्ट, आभूषण, और खाद्य सामग्री जैसी चीजें शामिल हैं, जो गुणवत्ता और पारंपरिकता का बेहतरीन मिश्रण हैं। इस छूट का उद्देश्य ग्राहकों को स्थानीय उत्पादों से जोड़ना और उनकी खरीदारी में बढ़ावा देना है, जिससे दीदियों की आर्थिक उन्नति भी हो सके। दीवाली की इस विशेष पेशकश के जरिए मेले में रौनक और भी बढ़ गई है। ये समूह ग्रामीण महिलाओं के सशक्तिकरण और परंपरागत भारतीय कला को संरक्षित करते हुए आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठा रहे हैं।

सरस मेले की ‘लखपति दीदियाँ’, बिस्मिता पाल और स्वाती, अपनी अद्वितीय कला और कौशल के लिए इस मेले में अपनी एक अलग पहचान बना रही हैं। बिस्मिता ने पिछले 15 वर्षों में लैंप साइट, पट चित्र, कोयर, चांदुआ, रिंग्स, मंदिर, बुकमार्क, और ताल पत्र पर हैंड पेंटिंग में अपनी पहचान बनाई है। वह रामायण और महाभारत की कलाकृतियों के साथ-साथ जगन्नाथ और कृष्ण की मूर्तियाँ भी बनाती हैं। उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण न केवल उन्हें सफल बनाता है, बल्कि अन्य ग्रामीण महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्त्रोत भी है।

दूसरी ओर, स्वाती ज्वैलरी के क्षेत्र में पिछले 25 वर्षों से सक्रिय हैं, जहाँ वह रियल पर्ल और रियल स्टोन ज्वैलरी में विशेषज्ञता रखती हैं। उनकी कलाकृतियाँ, जैसे ब्रेसलेट, इयररिंग्स, मालाएं, और टॉप्स, विभिन्न कीमती पत्थरों जैसे रूबी, एमराल्ड, सैफायर, टॉपाज़, और अमेठिस्ट से सजी होती हैं। पायरेट स्टोन के उपयोग से उनके डिज़ाइन को एक अनोखा रूप मिलता है। स्वाती की मेहनत और रचनात्मकता ने उन्हें इस क्षेत्र में एक प्रतिष्ठित स्थान दिलाया है और वे भी अन्य महिलाओं को अपनी कला के माध्यम से आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं।

सरस मेला 2024 में यह दोनों समूह न केवल अपने उत्पादों को बेच रहे हैं, बल्कि देश के ग्रामीण उद्योगों को मजबूत बनाने और भारतीय पारंपरिक कला को संरक्षित करने का कार्य भी कर रहे हैं। सरस मेले में अभी दो ही दिन का समय बचा है लेकिन लोगों का उत्साह इस मेले को लेकर बढ़ता जा रहा है। दिवाली पर लगी बम्पर सेल में भी लोग बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं।

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