महंगाई की मार से त्रस्त मध्यम वर्ग को टैक्स में और राहत की जरूरत
कर्मचारियों को झुनझुना थमा दिया
गुरुग्राम। नोटबंदी का मार झेलनी वाली जनता को उसका लाभ देने में सरकार ने कंजूसी बरती है। मध्यम वर्ग को वह राहत नहीं मिली, जिसकी दरकार उन्हें थी। यह कहना है कि देश की बड़ी ऑटो कंपनी मारुति के कामगार यूनियन के महासचिव कुलदीप जांघू का । जांघू ने केंद्रीय बजट 2017 पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि महंगाई की मार से त्रस्त मध्यम वर्ग को टैक्स में और राहत की जरूरत थी। कम से कम सरकार को पांच लाख तक पर टैक्स फ्री और उसके बाद पांच लाख पर 10 फीसद से ज्यादा टैक्स लगाने की जरूरत नहीं थी। पर सरकार ने मात्र तीन लाख तक टैक्स में छूट देकर एक प्रकार से कर्मचारियों कोझुनझुना थमा दिया है।
जांघू ने कहा कि विगत साल में खुदरा महंगाई ज्यादा बढ़ी है। लोगों का बचत ‘नील बट्टा सन्नाटा’ है। इसके उपर पांच लाख से 10 लाख के बीच के स्लैब में 20 फीसद का टैक्स बहुत ज्यादा है। उनकी मांग है कि सरकार पांच लाख तक आमदनी को शुन्य टैक्स के दायरे में लाए।
उन्होंने कहा कि छोटे व मंझोले उद्योगों पर टैक्स का दायरा 20 फीसद तक लाना चाहिए था लेकिन सरकार ने इसे 25 फीसद पर रखा है। सरकार से मांग है कि छोटे उद्योगों को संभालने के लिए टैक्स दायरा 20 फीसद पर लाएं। उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों के चंदे की सीमा 20 हजार से दो हजार किया जाना समस्या का कोई समाधान नहीं है। न ही इससे दलों के चंदा लेने की व्यवस्था पारदर्शी हो पाएगी। राजनीतिक दल अपने सभी चंदों को अब दो हजार से कम मिला दिखाएंगे और उनपर कोई कोर्रवाई नहीं होगी।