सभी फ़ोटो : शंकर शर्मा
– नेचुरल गैस रिसाव की सूचना टोल फ्री नंबर 15101 पर दें।
– मॉक ड्रिल में उपायुक्त विनय प्रताप सिंह भी पहुंचे।
– गुरुग्राम को फरीदाबाद के छांयसा से आ रही है 16 र्इंच मोटी नेचुरल गैस पाईप लाईन।
गुरुग्राम, 06 मार्च। मंगलवार को दोपहर 12 बजकर 12 मिनट पर गुरुग्राम के सैक्टर-57 में गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (गेल) की पाईप्ड नेचुरल गैस की लाईन लीक हो गई और इस गैस रिसाव के बारे में तुरंत गेल के लाईनमैन ने अपने रीजनल गैस मैनेजमेंट सैंटर (आरजीएमसी) को सूचित किया। वहां से इमरजैंसी रिस्पोंस व्हीकल तत्काल इंजीनियरों की टीम के साथ घटना स्थल के लिए रवाना हो गया। इस बीच जिला प्रशासन को भी गेल मुख्यालय से वायस कॉल से इस घटना के बारे में सूचित किया गया और स्वयं उपायुक्त विनय प्रताप सिंह अपनी टीम के साथ वहां जा पहूंचे।
यह नजारा आज गुरुग्राम के सैक्टर-57 में गेल द्वारा गैस रिसाव से संबंधित आपदा प्रबंधन की मॉक ड्रिल का देखने को मिला। वहां जिस हिसाब से अग्रिशमन की गाडिय़ां तथा एंबुलेंस पहुंच रही थी तथा लगातार लोगों को हैंड माईक से सूचना दी जा रही थी कि यहां ना आए, गैस का रिसाव हो रहा है इसलिए किसी ज्वलनशील पदार्थ का प्रयोग ना करें। इससे आस-पास के क्षेत्र में रहने वाले लोगों तथा वहां से आर्टिमिस अस्पताल की तरफ तथा सैक्टर-55-56 की तरफ जाने वाले राहगिरों को भी लगा कि जरूर कोई आपदा घटित हुई है। सभी उत्सुकता से उसे देख रहे थे परंतु पास जाने पर पता चला कि यह तो गेल कंपनी द्वारा गैस रिसाव पर काबू पाने की अपनी तैयारी की समीक्षा करने के लिए मॉक ड्रिल का आयोजन किया जा रहा है। गुरुग्राम को फरीदाबाद के छांयसा से 16 र्इंच मोटी नेचुरल गैस पाईप लाईन आ रही है । गेल द्वारा मारूति सुजुकि इंडिया लिमिटिड, आईजीएल, हीरो मोटोकॉर्प आदि सहित 9 उपभोक्ताओं को गुरुग्राम में नेचुरल गैस उपलब्ध करवाई जा रही है ।
इस मॉक ड्रिल में गेल के एनसीआर में ऑप्रेशन तथा मेंटिनेंस का कार्य देख रहे चीफ जनरल मैनेजर एसवी प्रसाद के अलावा, जनरल मैनेजर पी हलदर, जनरल मैनेजर एचआर आर के भिलवारिया, डिप्टी जनरल मैनेजर संजय कुमार सिंह भी विशेष रूप से तैयारी का जायजा लेने के लिए पधारे थे। जिला प्रशासन की तरफ से आपदा प्रबंधन के चीफ इन्सीडेंट कंट्रोलर एवं उपायुक्त विनय प्रताप सिंह मौके पर पहुंचे। उनके साथ इंडस्ट्रीयल सेफटी एण्ड हैल्थ विभाग से सहायक निदेशक अशोक नैन, तहसीलदार सिविल डिफेंस नरेश जोवल, असीस्टेंट फायर सेफटी ऑफीसर ललित कुमार भी अपनी टीम के साथ घटना स्थल पर पहुंचे। यही नहीं, राष्ट्रीय आपदा राहत बल अर्थात् नेशनल डिजास्टर रिलीफ फोर्स का 22 जवानो का दल असीस्टेंट कमांडेंट श्रीनिवास के नेतृत्व में सीधे नोएडा से यहां आया और राहत कार्य में जुट गया।
इस दौरान गैस रिसाव वाले स्थान को कॉर्डन ऑफ अर्थात् घेराबंदी करके अलग कर दिया गया। घटना स्थल पर गैस रिसाव वाले स्थान पर आग भी लग गई जिससे आपदा ने गंभीर रूप धारण कर लिया, जिसे गेल के अधिकारियों ने लैवल-3 की इमरजैंसी घोषित करते हुए स्थानीय प्रशासन से मदद मांगी। इस आगजनी में कुछ लोग भी घिरे हुए दिखाए गए। गेल की मैडिकल टीम भी मौके पर पहुंच गई। दो आदमी जख्मी हुए उन्हें टीम ने उठाया और फस्ट ऐड देते हुए उसे नजदीकी अस्पताल में उपचार के लिए पहुंचाया। गेल के अधिकारियों ने बताया कि गैस पाईप लाईन पर हर 50 मीटर की दूरी पर एक मार्कर होता है जो दर्शाता है कि यहां से हाई प्रैशर की गैस की लाईन गुजर रही है और कोई भी खुदाई इत्यादि करने से पहले उस मार्कर पर लिखे फोन नंबर पर सूचित करें।
गेल के संजय कुमार सिंह ने बताया कि आमतौर पर गैस की पाईप लाईन जमीन में एक से दो मीटर गहराई पर दबाई जाती है तथा लाईन की सुरक्षा की देखरेख के लिए लाईन पैट्रोल मैन (एलपीएम) तैनात किए जाते हैं। कहीं भी गैस रिसाव होने पर लाईन पैट्रोल मैन तुरंत अपने लोकल कंट्रोल रूम में सूचित करता है जहां से रिमोट के द्वारा पाईप लाईन के वाल को बंद कर दिया जाता है। पाईप्ड नेचुरल गैस अर्थात् पीएनजी सामान्य वायु की अपेक्षा हल्की होती है इसलिए खुले में इससे दुर्घटना होने की संभावना कम रहती है, केवल बंद कमरे में ही आक्सीजन की कमी से दम घुटने से व्यक्ति की मृत्यु हो सकती है। मॉक ड्रिल में बताया गया कि कहीं भी नेचुरल गैस की पाईप लाईन में लीकेज होने पर कोई भी व्यक्ति गेल नियंत्रण कक्ष के टोल फ्री नंबर 15101 पर सूचित कर सकता है।
बताया गया कि गेल के आरजीएमसी सैंटर में 24 घंटे इंजीनियर तैनात रहते हैं और कहीं से भी रिसाव की सूचना मिलने पर क्वीक रिस्पोंस टीम कम से कम समय में घटना स्थल पर पहुंचकर हालात पर काबू करती है ताकि जान-माल का कम से कम नुकसान हो। इस बीच आस-पास की आबादी को भी सूचित किया जाता है कि वे बिल्डिंग को खाली कर दें और ऐसी किसी चीज का प्रयोग ना करें जिससे आग भडक़ने का खतरा हो। यहां तक कि गैस रिसाव वाले स्थान पर मोबाईल का प्रयोग भी नहीं करना चाहिए। आज की मॉक ड्रिल में जहां पर आग लगी हुई थी उस पर कूलिंग वाटर स्प्रे किया गया और आग बुझाने के लिए कैमिकल पाउडर का प्रयोग भी किया गया। यही नहीं, हवा में ऊंचाई तक पानी का छिडक़ाव किया गया ताकि हाईड्रो कॉर्बन का क्लाउड ना बनने पाए। आग बुझाने के बाद ही लोअर एक्सप्लोसिव लिमिट (एलईएल) चैक करने के उपरांत स्थानीय अधिकारियों से अनुमति लेकर ही मेंटिनेंस का कार्य किया गया। गेल के इंजीनियरों ने लाईन लोकेटर मशीन की मदद से गैस पाईप लाईन कहां से गुजर रही है, इसका पता लगाया और मार्किंग करके गैस रिसाव वाले स्थान पर खुदाई की तथा कलैम्प लगाकर लीकेज की मरम्मत की। इसके बाद डी-ब्रिफिंग की गई और सभी टीमों ने अपने-अपने कार्यो के बारे में बताया। इस मॉक ड्रिल के लिए तीन ऑब्जर्वर भी लगाए गए थे जिनमें हीरो मोटोकॉर्प के प्रबंधक बीएस यादव, इंडियन ऑयल कंपनी के हेमेंद्र गोयल तथा गेल के महाप्रबंधक डीपी नंदा थे, जिन्होंने मॉक ड्रिल के समापन पर उसमें रही कमियों के बारे में बताया।
इस अवसर पर एसीपी इंद्रजीत, इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटिड के महाप्रबंधक हेमेंद्र गोयल, उप महाप्रबंधक नितिन कुमार गर्ग, आपदा प्रबंधन की रिसर्च ऑफिसर सुरभी गर्ग सहित कई विभागों के अधिकारीगण उपस्थित थे।