नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय
सुभाष चौधरी/प्रधान संपादक
नई दिल्ली : अब सांसदों को निर्वाचन क्षेत्रीय भत्ता के रूप में 75 हजार रु प्रति माह मिलेगा जबकि कार्यालय खर्च की राशि 45 हजार रु से बढ़ा कर 60 हजार रु करने का प्रस्ताव है. नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल की हुई बैठक में सांसदों के वेतन भत्ते व अन्य सुविधाओं में वृद्धि करने सहित दर्जनों महत्वपूर्ण फैसले लिए गए. केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने चैम्पियन क्षेत्रों के संवर्धन और उनकी सामर्थ्य को समझने के उद्देश्य से 12 निर्धारित चैम्पियन सेवा क्षेत्रों पर विशेष रूप से ध्यान देने के लिए वाणिज्य विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दी जबकि भारत में शत-प्रतिशत उठाव के लिए एक दीर्घकालिक समझौते के साथ रॉक फॉस्फेट और एमओपी के खनन एवं परिष्करण तथा फॉस्फोरिक एसिड/डीएपी/एनपीके उर्वरकों के लिए जॉर्डन में एक उत्पादन इकाई लगाने हेतु भारत और जॉर्डन के बीच एक सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए जाने को स्वीकृति भी मंजूर किया.
नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल (i) ने आवास और टेलीफोन सुविधाएं (संसद सदस्य) नियम, 1956 (ii) संसद सदस्य (निर्वाचन क्षेत्र भत्ता) नियम, 1986 और (iii) संसद सदस्य (कार्यालय व्यय भत्ता) नियम, 1988 में संशोधन को स्वीकृति दे दी है।
किन सुविधाओं में हुई वृद्धि :
(i) संसद सदस्यों के आवास पर फर्नीचर की आर्थिक सीमा को 75,000 हजार रुपए (60,000 रुपए टिकाऊ फर्नीचर के लिए और 15,000 रुपए गैर-टिकाऊ फर्नीचर के लिए) से बढ़ाकर दिनांक 01.04.2018 से 1,00,000 रुपए (80,000 रुपए टिकाऊ फर्नीचर के लिए और 20,000 रुपए गैर-टिकाऊ फर्नीचर के लिए) करना है, जिसमें आयकर अधिनियम 1961 की धारा 48 के स्पष्टीकरण के खण्ड (v) के अंतर्गत उपबंधित लागत मुद्रास्फीति सूचकांक के आधार पर दिनांक 01.04.2023 से प्रत्येक पांच वर्ष में वृद्धि की जायेगी।
(ii) संसद सदस्यों को लैंडलाइन कनेक्शन पर प्रतिवर्ष छोड़ी गई 10,000 कॉल यूनिटों के बदले अगस्त, 2006 से ब्रॉडबैंड इंटरनेट सुविधा उपलब्ध कराना, संसद सदस्यों को ब्रॉडबैंड इंटरनेट की सुविधा पहले ही अगस्त, 2006 से प्रदान की जा रही है और इसके नियमन के लिए आवास और टेलीफोन सुविधाएं (संसद सदस्य नियम, 1956 में एक नये नियम को अंत:-स्थापित करके पूर्वव्यापी प्रभाव से संशोधन के माध्यम से उसे शामिल किया जाएगा।
(iii) हाइस्पीड इंटरनेट कनेक्शन (एफटीटीएच कनेक्शन) उपलब्ध कराने के लिए सदस्यों के आवासीय क्षेत्र में दिनांक 01.09.2015 से 31.12.2016 तक 1700 रुपए तथा दिनांक 01.01.2017 के बाद से 2200 रुपए की मासिक किराया योजना वाला वाईफाई जोन स्थापित करना। यह सुविधा वर्तमान ब्रॉडबैंड सुविधा के अतिरिक्त होगी। इस प्रयोजन के लिए आवास और टेलीफोन सुविधाएं (संसद सदस्य) नियम, 1956 में तीन नए उप-नियम शामिल किए जाएंगे।
(iv) ऊंची मुद्रास्फीति दर और वर्तमान आर्थिक स्थिति पर विचार करते हुए संसद सदस्यों के निर्वाचन क्षेत्र भत्ते को 45,000 रुपए प्रतिमाह से बढ़ाकर 75,000 रुपए प्रतिमाह करना है जिसमें आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 48 के स्पष्टीकरण के खंड V के अंतर्गत उपबंधित लागत मुद्रास्फीति सूचकांक के आधार पर दिनांक 01.04.2023 से प्रत्येक पांच वर्ष में वृद्धि की जाएगी।
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(v) संसद सदस्यों के कार्यालय व्यय भत्ते को 45,000 रुपए मासिक (15,000 रुपए लेखन सामग्री और डाक व्यय के लिए तथा 30,000 रुपए सचिवालय सहायता प्राप्त करने के लिए संसद सदस्य द्वारा नियोजित एक कम्प्यूटर प्रशिक्षित व्यक्ति के लिए) से बढ़ाकर दिनांक 01.04.2018 से 60,000 रुपए मासिक (20,000 रुपए लेखन सामग्री और डाक व्यय के लिए तथा 40,000 रुपए सचिवालय सहायता प्राप्त करने के लिए संसद सदस्य द्वारा नियोजित एक कम्प्यूटर प्रशिक्षित व्यक्ति के लिए) करना और इसमें आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 48 के स्पष्टीकरण के खण्ड V के अंतर्गत उपबंधित लागत मुद्रास्फीति सूचकांक के आधार पर दिनांक 01.04.2023 से प्रत्येक पांच वर्ष में वृद्धि की जाएगी।
मंत्रिमंडल के निर्णय की सूचना संसद सदस्यों के वेतन और भत्तों संबंधी संयुक्त समिति को संबंधित नियमों में संशोधन करने के लिए दी जाएगी जिसे राज्य सभा के सभापति और लोक सभा के अध्यक्ष से अनुमोदित कराया जाएगा और सरकारी राजपत्र में प्रकाशित किया जाएगा।
मंत्रिमंडल द्वारा लिए गए निर्णय के अतिरिक्त, वित्तीय निहितार्थ में लगभग 39,22,72,800 रुपए (उन्तालीस करेाड़ बाइस लाख बहत्तर हजार आठ सौ रुपए) आवर्ती व्यय और लगभग 6,64,05,400 रुपए (छह करोड़ चौसठ लाख पांच हजार चार सौ रुपए) अनावर्ती व्यय का होगा।
पृष्ठभूमि:
संविधान के अनुच्छेद 106 में प्रावधान है कि संसद के प्रत्येक सदन के सदस्य ऐसे वेतन और भत्ते प्राप्त करने के हकदार होंगे जिन्हें संसद समय-समय पर विधि द्वारा निर्धारित करेगी। परिणामस्वरूप, वर्ष 1954 में संसद सदस्य वेतन, भत्ता और पेंशन अधिनियम (एमएसए अधिनियम) (1954 का अधिनियम 30) अधिनियमित किया गया था। इनमें से अधिनियम की धारा 9 इस अधिनियम के अंतर्गत नियम बनाने के उद्देश्य से संसद के दोनों सदनों की एक संयुक्त समिति के गठन का प्रावधान करती है। संयुक्त समिति को केन्द्र सरकार के परामर्श से उस धारा में दिए गए विषयों में से सभी अथवा किसी विषय पर नियम बनाने की शक्तियां प्राप्त हैं।
आर्थिक एवं व्यापार सहयोग पर भारत और वियतनाम के बीच एमओयू को मंजूरी
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने आर्थिक एवं व्यापार सहयोग पर भारत और वियतनाम के बीच सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए जाने को मंजूरी दे दी है।
इस एमओयू के तहत भारत एवं वियतनाम के बीच द्विपक्षीय व्यापार तथा आर्थिक सहयोग और ज्यादा बढ़ जाएगा।
भारत और जॉर्डन के बीच समझौता :
केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने स्वास्थ्य और चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में सहयोग के लिए भारत और जॉर्डन के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
समझौता ज्ञापन में सहयोग के निम्नलिखित क्षेत्र शामिल हैं:
सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (यूएचसी);
स्वास्थ्य व्यवस्था सुशासन;
स्वास्थ्य में सेवा और सूचना प्रौद्योगिकी;
स्वास्थ्य अनुसंधान;
राष्ट्रीय स्वास्थ्य सांख्यिकी;
स्वास्थ्य वित्त और स्वास्थ्य अर्थव्यवस्था;
गंभीर बीमारी पर नियंत्रण;
तम्बाकू नियंत्रण;
तपेदिक का निदान, उपचार और औषधि;
फार्मास्यूटिकल्स और चिकित्सा उपकरणों का नियंत्रण; और
सहयोग का कोई अन्य क्षेत्र जिसे आपस में तय किया गया हो
सहयोग के विवरणों के अधिक विस्तार और समझौता ज्ञापन के कार्यान्वयन का निरीक्षण करने के लिए एक कार्य दल की स्थापना की जाएगी।
भारत और मेसीडोनिया के बीच समझौता :
केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में सहयोग के लिए भारत और मेसीडोनिया के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर को मंजूरी दे दी है।
समझौता ज्ञापन में सहयोग के क्षेत्र –
स्वास्थ्य में क्षमता निर्माण और मानव संसाधन में अल्पावधि प्रशिक्षण
डॉक्टरों, अधिकारियों, स्वास्थ्य के क्षेत्र से जुड़े अन्य पेशेवरों और विशेषज्ञों का आदान-प्रदान और प्रशिक्षण
मानव संसाधन विकास में सहायता और स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं की स्थापना
सहयोग का कोई अन्य क्षेत्र जिसे आपस में तय किया गया हो
सहयोग के विवरणों के अधिक विस्तार और समझौता ज्ञापन के कार्यान्वयन का निरीक्षण करने के लिए एक कार्य दल की स्थापना की जाएगी।
12 निर्धारित चैम्पियन सेवा श्रेत्रों पर विशेष रूप से ध्यान देने के प्रस्ताव को मंजूरी
केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने चैम्पियन क्षेत्रों के संवर्धन और उनकी सामर्थ्य को समझने के उद्देश्य से 12 निर्धारित चैम्पियन सेवा श्रेत्रों पर विशेष रूप से ध्यान देने के लिए वाणिज्य विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इनमें सूचना प्रौद्योगिकी और सूचना प्रौद्योगिकी सक्षम सेवाओं (आईटी और आईटीईएस), पर्यटन और आतिथ्य सेवाएं, चिकित्सा मूल्यांकन भ्रमण, परिवहन और लॉजिस्टिक सेवाएं, लेखा और वित्त सेवाएं, दृश्य श्रव्य सेवाएं, कानूनी सेवाएं, संचार सेवाएं, निर्माण और उससे संबंधित इंजीनियरिंग सेवाएं, पर्यावरण सेवाएं, वित्तीय सेवाएं और शिक्षा सेवाएं शामिल हैं।
मंत्रिमंडल ने इन क्षेत्रों से संबद्ध मंत्रालयों/विभागों को यह भी निर्देश दिया है कि निर्धारित चैम्पियन सेवा क्षेत्रों के लिए कार्य योजनाओं को अंतिम रूप देने और उनके कार्यान्वयन के लिए उपलब्ध क्षेत्रीय मसौदा योजनाओं का इस्तेमाल करें। संबद्ध मंत्रालयों/विभागों को कार्य योजना को अंतिम रूप देना होगा और मंत्रिमंडल सचिव के अंतर्गत सचिवों की समिति की सम्पूर्ण देखरेख में कार्यान्वयन की निगरानी के लिए एक निगरानी तंत्र के साथ कार्यान्वयन क्रम विकास होगा।
चैम्पियन क्षेत्रों की क्षेत्रीय कार्य योजनाओं की पहलों को सहायता देने के लिए 5000 करोड़ रुपये का एक समर्पित कोष स्थापित करने का प्रस्ताव है।
प्रभाव:
इस पहल से केन्द्रित और निगरानी की गई कार्य योजनाओं के कार्यान्वयन के जरिए भारत के सेवा क्षेत्रों की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी, जिससे जीडीपी दर बढ़ेगी, अधिक नौकरियां सृजित होगी और वैश्विक बाजारों के लिए निर्यात बढ़ेगा।
रोजगार सृजन की संभावना:
भारत के सेवा क्षेत्र में रोजगार की काफी संभावना है। इस प्रस्ताव से केन्द्रित और निगरानी की गई कार्य योजनाओं के कार्यान्वयन के जरिए भारत के सेवा क्षेत्रों की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी,जिससे जीडीपी दर बढ़ेगी, अधिक नौकरियां सृजित होगी और वैश्विक बाजारों के लिए निर्यात बढ़ेगा।
वित्तीय सम्बन्ध:
आवश्यक बुनियादी ढांचे के सृजन, वित्तीय प्रोत्साहनों आदि जैसे तत्वों से जुड़े विभिन्न क्षेत्रीय कार्य योजनाओं के कुछ भाग, जिन्हें तैयार किया जाना है, उनका वित्तीय सम्बन्ध हो सकता है। इन विवरणों को संबद्ध विभागों द्वारा तैयार कार्य योजनाओं के अंतर्गत विस्तार से तैयार किया जाएगा और उचित मंजूरी के साथ अंतिम रूप दिया जाएगा। चैम्पियन क्षेत्रों की क्षेत्रीय कार्य योजनाओं की पहलों को सहायता देने के लिए 5000 करोड़ रुपये का एक समर्पित कोष स्थापित करने का प्रस्ताव है।
लाभ:
चूंकि सेवा क्षेत्र भारत के जीडीपी, निर्यात और रोजगार सृजन, बड़ी हुई उत्पादकता में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। चैम्पियन सेवा क्षेत्रों की प्रतिस्पर्धात्मकता से भारत से विभिन्न सेवाओं का निर्यात बढ़ेगा। सन्निहित सेवाएं वस्तुओं का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। अत: प्रतिस्पर्धात्मक सेवा क्षेत्र निर्माण क्षेत्र की प्रतिस्पर्धात्मकता से जुड़ जाएगा।
वर्ष 2022 में भारत अपनी आजादी की 75वीं वर्षगांठ मनाएगा। संबद्ध मंत्रालयों/विभागों द्वारा तैयार और कार्यान्वित कार्य योजनाओं से वर्ष 2022 में इन निर्धारित चैम्पियन क्षेत्रों में से प्रत्येक के लिए एक संकल्पना विकसित हो सकेगी और इस संकल्पना को हासिल करने के लिए उपयुक्त कदम उठाने की आवश्कता है।
भारत के सेवा क्षेत्र की हिस्सेदारी वैश्विक सेवाओं के निर्यात में 2015 में 3.3 प्रतिशत थी, जबकि 2014 में यह 3.1 प्रतिशत थी। इस पहल के आधार पर 2022 के लिए 4.2 प्रतिशत का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
सकल योगित मूल्य (जीवीए) में सेवाओं की हिस्सेदारी 2015-16 (निर्माण सेवाओं सहित 61 प्रतिशत) में भारत के लिए करीब 53 प्रतिशत थी। जीवीए में सेवाओं की हिस्सेदारी 60 प्रतिशत (निर्माण सेवाओं सहित 67 प्रतिशत) हासिल करने का लक्ष्य वर्ष 2022 के लिए रखा गया है।
पृष्ठभूमि:
सचिवों के समूह ने प्रधानमंत्री को भेजी गई अपनी सिफारिशों में 10 चैम्पियन क्षेत्र निर्धारित किए। इनमें सात निर्माण संबंधी क्षेत्र और तीन सेवा क्षेत्र हैं। चैम्पियन क्षेत्रों के संवर्धन और उनकी सामर्थ्य को हासिल करने के लिए यह फैसला किया गया कि ‘मेक इन इंडिया’ का प्रमुख विभाग –औद्योगिक नीति और संवर्द्धन विभाग (डीआईपीपी) निर्माण में चैम्यिन क्षेत्रों की पहल में प्रमुख भूमिका निभाएगा और वाणिज्य विभाग सेवाओं में चैम्पियन क्षेत्रों के लिए प्रस्तावित पहल के साथ समन्वय कायम करेगा। इसके बाद वाणिज्य विभाग साझेदारों के साथ विस्तृत विचार-विमर्श के साथ अनेक सेवा क्षेत्रों के लिए आरंभिक क्षेत्रीय सुधार योजनाओं का मसौदा तैयार करने और इसके बाद कार्य योजना तैयार करने के लिए सहयोग करेगा।