अब बेगम हीरो बनेगी : मेहरुनिसा

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गोवा। मेहरुनिसा पुरुष प्रधान भारतीय फिल्म जगत के ख़िलाफ पुरज़ोर आवाज़ उठाती हैं। उमराव जान फेम फारुख जाफर ने 80 वर्षीय अभिनेत्री की भूमिका निभाई है, जो दर्शकों को निडरतापूर्वक अपने सपनों का पालन करने के लिए कहती हैं और इसमें उम्र कोई मायने नहीं रखती।

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हिंदी भाषा की ऑस्ट्रियाई फिल्म  और 51वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह की मिड-फेस्ट फिल्म ‘मेहरुनिसा’ का कल इस महोत्सव में विश्व प्रीमियर था।

आज एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, निर्देशक, निर्माता और पटकथा लेखक संदीप कुमार ने कहा: “फिल्म की भावना भारतीय है, और इसलिए हम भारतीय भूमि पर इसका प्रीमियर चाहते थे। मेहरुनिसा के साथ आईएफएफआई में होना मेरे लिए सौभाग्य की बात हूं। हम कल की स्क्रीनिंग के बाद मिली प्रतिक्रिया से अभिभूत हैं।” यह भारतीय सिनेमा की उस प्रतिष्ठित महिला के लिए एक महान श्रद्धांजलि है, जिन्होंने 40 से अधिक वर्षों तक भारतीय सिनेमा में एक शानदार स्थान बनाए रखा।”

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निदेशक ने कहा कि भारतीय फिल्म उद्योग में सिर्फ एक महिला की उम्र मायने रखती है। जब उसी के समान उम्र वाले पुरुष फिल्मों में मुख्य भूमिका निभा सकते हैं, तो महिलाएं क्यों नहीं? लखनऊ में शूट की गई यह फिल्म इसी मसले पर सवाल उठाती है। “मैं वास्तविक स्थानों पर ही शूटिंग में विश्वास करता हूं और मेहरुनिसा के सभी स्थान वास्तविक हैं।

कुमार ने बताया कि किस प्रकार उन्हें इस फिल्म के लिए आईडिया मिला। “इस फिल्म का विचार तब आया जब मैं यह सोच कर हैरान था कि पुराने समय की सभी अभिनेत्रियाँ कहाँ थीं, और वे भारतीय सिनेमा में दिखाई क्यों नहीं देती हैं। वे केवल प्लेसहोल्डर के रूप में आती हैं। मेरा मानना था ‘कि उनको लेकर कोई कहानी क्यों नहीं है? ‘यूरोप में, 80, 90 की उम्र में भी अभिनेता वरिष्ठ नागरिक होने के बावजूद भी फ़िल्मों में प्रमुख भूमिका निभाते हैं।”

निर्देशक ने अपनी मुख्य अभिनेत्री के करियर के बारे में एक दिलचस्प तथ्य बताया। उन्होंने बताया कि “अपने 40 साल के लंबे करियर में, फारुख जाफर ने तीनों खान के साथ अभिनय किया है, लेकिन 88 वर्ष की उम्र में यह उनकी पहली मुख्य भूमिका है! ‘मेहरुनिसा’ भारतीय फिल्म उद्योग में एक गेम चेंजर होगी।”

(स्टोरी बेच रहे हो या स्टार बेच रहे होमेहरूनिसा)

फिल्म के अपने अनुभवों को साझा करते हुए, अभिनेत्री अंकिता दुबे जो फिल्म में मेहरुनिसा की पोती का किरदार निभा रही हैं, बताती हैं: “पटकथा इतनी यथार्थ और मूल थी, कि जब मैंने पहली बार इसे देखा, तो इसने मेरा ध्यान अपनी ओर खींचा। इसमें कुछ अव्यक्त था।

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मेहरुनिसा की बेटी की भूमिका निभाने वाली अभिनेत्री तूलिका बैनर्जी ने कहा कि: “युवाओं के पास ज्ञान और गैजेट्स हो सकते हैं, लेकिन यह बुजुर्ग ही हैं जिन्हें जीवन का अनुभव है। उम्र सिर्फ एक संख्या है। यह एक मजबूत संदेश है जो यह फिल्म देती है।”

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भारतीय फिल्म निर्माताओं के बारे में पूछे जाने पर, निर्देशक संदीप ने कहा: “मैं मीरा नायर का बहुत बड़ा प्रशंसक हूं, जिन्होंने अमेरिकी सिनेमा को भारतीय सिनेमा से और गुरिंदर चड्ढा से जोड़ा, जिन्होंने अंग्रेजी सिनेमा को भारतीय सिनेमा से जोड़ा; मुझे अनुराग कश्यप की फिल्म निर्माण की शैली भी पसंद है।”

उन्होंने कहा कि बॉलीवुड भारत के क्षेत्रीय सिनेमा की देखरेख करता है और आईएफएफआई क्षेत्रीय सिनेमा के लिए एक बेहतरीन मंच है।https://platform.twitter.com/embed/index.html?dnt=false&embedId=twitter-widget-0&frame=false&hideCard=false&hideThread=false&id=1351870611899908099&lang=en&origin=https%3A%2F%2Fpib.gov.in%2FPressreleaseshare.aspx%3FPRID%3D1691552&theme=light&widgetsVersion=ed20a2b%3A1601588405575&width=550px

इसका प्रीमियर आज कला अकादमी, पणजी@6:30PM pic.twitter.com/O9btSTqRNJ पर देखें

-पीआईबी इन गोवा (@PIB_Panaji) 20 जनवरी, 2021

उन्होंने लखनऊ में मिले आतिथ्य और असीम प्यार का भी जिक्र किया। “यह पहली बार था जब मेरी टीम भारत आई थी और लखनऊ के लोगों के शानदार आतिथ्य को देखकर उन्हें इनसे प्यार हो गया।”

‘लखनऊ के लोगों ने एकमत होकर कहा था ‘आप आस्ट्रिया से जाफर पर फिल्म बनाने आ रहे हैं, हम आपके साथ हैं।

फारुख जाफर की बेटी मेहरू जाफर ने कहा, “इस फिल्म, ‘मेहरुनिसा’ को देखकर लेखकों को सामान्य की बजाय वैकल्पिक कहानियों के बारे में सोचने के लिए प्रेरित होना चाहिए।” पिछले दो दशकों से अधिक समय तक वियना में रहने के बाद, उन्होंने लखनऊ और वियना के बीच सांस्कृतिक समानता के बारे में भी चर्चा की। “वियना और लखनऊ दोनों शाही शहर हैं जो महान साम्राज्यों की राजधानियाँ थे; इन शहरों का अपना एक चरित्र है, दोनों ने दरबारी संस्कृति का अनुभव किया है। लखनऊ का ऐतिहासिक परिवेश- जहाँ हर गली और रास्ते कवियों से भरे हुए थे, वियना के साथ एक जबरदस्त साम्यता रखते हैं। यह इन शहरों के नागरिकों को समान भाव देता है।”

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इस बात का भी जिक्र किया गया कि ऑस्ट्रिया किस तरह से कॉफी का सबसे बड़ा उपभोक्ता है और लखनऊ के लोगों को भी हर 15 मिनट में चाय लेने की आदत हैं।

निर्देशक संदीप कुमार ने गर्व के साथ कहा “मेहरुनिसा हमारा सबसे बड़ा सपना था। यह पहली बार है जब एक ऑस्ट्रियाई फिल्म को पूरी तरह से भारत में और एक भारतीय भाषा में फिल्माया गया है। ऑस्ट्रिया और उसका फिल्म उद्योग इस समय गोवा पर नज़र जमाए है।”

पृष्ठभूमि

मेहरूनिसा, जो चार दशकों से पहले एक प्रसिद्ध अभिनेत्री थी, उन्हें एक प्रसिद्ध अभिनेता के साथ बेगम के रूप में अभिनय करने का मौका मिलता है। वह पटकथा पढ़ती है और इसे झूठ से भरी हुई कहानी कहते खारिज कर देती हैं। वह पटकथा लेखक से पटकथा को फिर से लिखने के लिए कहती है और इसमें बेगमों के द्वारा किए गए बलिदानों को दिखाने को कहती है और फिर उन्हें मुख्य भूमिका निभाने के लिए लिया गया था।

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