हरियाणा में पंचायत चुनाव को लेकर भाजपा नेतृत्व में बैचेनी

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सीएम मनोहर लाल और प्रदेश अध्यक्ष ओ पी धनखड़ ने जिला अध्यक्षों से की गुफ्तगू

ग्रामीण क्षेत्रों में वोटरों का मूड भांपने की हुई कोशिश

कृषि बिल के प्रति किसानों की नाराजगी से आशंकित है पार्टी नेतृत्व

सुभाष चौधरी

चंडीगढ़ : भारतीय जनता पार्टी हरियाणा में संभावित पंचायत चुनाव को लेकर अपनी तैयारी शुरू कर दी.  पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष ओ पी धनखड़ और मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने आज  पार्टी कार्यालय में सभी जिला अध्यक्षों के साथ  बैठक की. बैठक में  दोनों नेताओं ने  पार्टी पदाधिकारियों के साथ आगामी पंचायत चुनावों पर चर्चा की.समझा जाता है कि पार्टी नेतृत्व दिल्ली सहित  अन्य राज्यों में चल रहे किसान आंदोलन को लेकर आशंकित है और ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों तक अपनी पहुंच बनाने की कोशिश में जुटेंगे. 

 भारतीय जनता पार्टी के नेता पिछले दिनों हुए तीन नगर निगमों के चुनाव और एक नगर परिषद के चुनाव में पार्टी का संतोषजनक प्रदर्शन नहीं होने से सकते में है.  हालांकि रेवाड़ी नगर परिषद और पंचकूला नगर निगम में  अध्यक्ष एवं मेयर पद पर पार्टी के प्रत्याशी को कामयाबी मिली लेकिन अंबाला व सोनीपत जैसे शहर में उन्हें मात खानी पड़ी. यहां पार्टी के कद्दावर नेता व वर्तमान में प्रदेश के गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज की मजबूत पकड़ मानी जाती है. किसान सिंह सांगवान जैसे कद्दावर नेता के कारण सोनीपत कभी भाजपा का गढ़ माना जाता था और वर्तमान में भी लोकसभा सांसद भाजपा से ही हैं. लेकिन दोनों ही प्रमुख जिले के शहरी क्षेत्र में मेयर का पद हाथ से फिसल जाना बेहद चिंता का विषय बन गया है.  यह स्थिति तब रही जब सभी नगर निगम एवं रेवाड़ी नगर परिषद में प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल स्वयं चुनाव प्रचार की कमान संभाले हुए थे. उन्होंने स्वयं भी कई चुनावी जनसभाओं को संबोधित किया था. उनका अधिकतम फोकस तीनों नगर निगमों में मेयर पद पर कब्ज़ा जमाने पर था लेकिन एक मेयर पद हाथ लगा.

भारतीय जनता पार्टी के बारे में आमतौर पर यह कहा जाता था कि इस राजनीतिक दल का आधार शहरी क्षेत्र में मजबूत है जबकि ग्रामीण क्षेत्र में कमजोर.  लेकिन हाल के वर्षों में पार्टी ने इस धारणा को निर्मूल साबित कर दिया था.  अब पिछले निगम चुनाव में  दो निगमों के मेयर  पद पर मिली हार ने शहरी क्षेत्र में पकड़ ढीली होने  का संकेत  दे दिया. इसलिए पिछले लगभग 6 वर्षों से प्रदेश में सत्ता पर काबिज पार्टी के आकाओं को एक तरफ एंटी इनकंबेंसी फैक्टर मजबूत होने की चिंता सता रही है तो दूसरी तरफ किसान आंदोलन की धधक हरियाणा के ग्रामीण क्षेत्रों में भी होना माथे पर बल पैदा करने वाला है. ऐसे में पार्टी नेतृत्व आगामी पंचायत के चुनाव को लेकर कोई कोताही बरतने के मूड में नहीं है. 

प्रदेश में मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष दोनों ही एक बार फिर पंचायती चुनाव को लेकर सक्रिय हो गए हैं.  यही कारण है कि सभी जिले के अध्यक्षों  को तलब कर उनसे उन क्षेत्रों में पार्टी की स्थिति का अंदाजा लगाने प्रक्रिया शुरू कर दी है. आज की बैठक में मुख्यमंत्री मनोहर लाल और प्रदेश अध्यक्ष ओम प्रकाश धनखड़ ने सभी जिला अध्यक्षों से खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के रुझान पर चर्चा की.  बताया जाता है कि अधिकतर जिला अध्यक्षों ने दोनों नेताओं को पंचायती चुनाव में पार्टी के पक्ष में बंपर वोटिंग कराने का दावा ठोका.  हालांकि वास्तविकता क्या है इसका अंदाजा प्रदेश अध्यक्ष जो स्वयं भी ग्रामीण क्षेत्रों से ही संबंध रखते हैं को पूर्णरूपेण है. उन्होंने पार्टी के पदाधिकारियों  से आम जनता में तैर रहे मुद्दों पर भी बात की.  विशेषकर केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए तीन कृषि कानूनों के मामले में सभी जिला अध्यक्षों को निर्देश दिया कि वे किसानों के बीच जाकर, उन्हें कृषि कानूनों से होने वाले लाभ के सम्बन्ध में जानकारी दें। 

पार्टी का नेतृत्व चाहता है कि कृषि  कानून को लेकर उत्पन्न हुई भ्रांतियों को पार्टी के कार्यकर्ता घर घर जाकर दूर करें.  इसको लेकर पिछले दिनों  केंद्रीय कृषि  मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर कि किसानों के नाम चिट्ठी को भी प्रत्येक किसानों तक पहुंचाने का बिरहा पार्टी कार्यकर्ताओं ने उठाया था. इस मुहिम का बहुत अधिक असर होता ग्रामीण क्षेत्रों में नहीं दिखता है. इस बात का भान मुख्यमंत्री मनोहर लाल और प्रदेश अध्यक्ष ओ पी धनखड़  को भी अच्छी तरह है.  इसलिए ही आज की पार्टी पदाधिकारियों की बैठक में उन्होंने  जिला अध्यक्षों से सीधे किसानों से संवाद स्थापित करने को कहा.

सोनीपत नगर निगम में मेयर पद पर कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी को मजबूत  जीत हासिल होना और अंबाला नगर निगम में भी मेयर पद पर पूर्व मंत्री विनोद शर्मा की पत्नी निर्दलीय उम्मीदवार का पताका फहराना  भाजपा के लिए नींद उड़ाने वाली घटना है. मूलतः कांग्रेसी राजनीतिक सोच के श्री शर्मा कभी भाजपा से भी पींगे बढ़ा चुके हैं लेकिन इस बार उन्होंने चुनावी बिसात पर इन्हें मात दे दी. सोनीपत में कांग्रेस पार्टी से लोक सभा का चुनाव हारने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने भाजपा को पहले तो घरोंदा विधानसभा के उप चुनाव में करारी मात दी और अब सोनीपत शहरी क्षेत्र में भी निगम का मेयर पद छीन कर जबरदस्त बदला ले लिया.

गौरतलब है कि पंचायत चुनाव पूरे प्रदेश में आयोजित किया जाना है. इसमें विधानसभा की लगभग 60 सीटों के बराबर वाले ग्रामीण क्षेत्रों में यह मैराथन चुनाव होना निर्धारित है. इसलिए आने वाले वर्षों में पार्टी की राजनीतिक स्थिति को मजबूत करने के लिए मुख्यमंत्री के सामने इस चुनाव में अपना करिश्माई नेतृत्व स्थापित करने की बड़ी चुनौती है. जाहिर है पंचायत चुनाव के परिणामों की तपिश लम्बे समय तक परेशान क्र सकती है.

 स्थानीय चुनाव में गांव स्तर पर राजनीतिक गुटबाजी भी चरम पर रहती है जबकि विपक्ष के रूप में प्रदेश के बड़े भूभाग पर कांग्रेस पार्टी मजबूती से सामने आने लगी है.  कुछ क्षेत्रों में इनेलो के अस्तित्व को भी पूरी तरह नकारना संभव नहीं है.  दूसरी तरफ सत्ता में सहयोगी बनी पार्टी जननायक जनता पार्टी भी पंचायती चुनाव के दौरान अपना हिस्सेदारी मांगेगी. इसलिए इन विषमताओं के बीच भाजपा पंचायतों में अपनी पैठ  साबित कर पाएगी इसको लेकर पार्टी के अंदर भी बड़ी बेचैनी है. 

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