आंध्र प्रदेश, केरल, महाराष्ट्र, बिहार और तमिलनाडु ने 1 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा तूर की आवश्यकता पेश की

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नई दिल्ली। खरीफ सीजन की तूर और उड़द की फसल को काटने का समय नजदीक होने के बावजूद बीते पखवाड़े में यह देखा गया है कि इन दालों की खुदरा कीमतें न केवल पिछले साल की तुलना में अधिक रही हैं, बल्कि हाल ही में एक उछाल भी दर्ज किया गया है। 12 अक्टूबर को, पिछले वर्ष की तुलना में तूर और उड़द की अखिल भारतीय औसत खुदरा कीमत में क्रमशः 23.71 प्रतिशत और 39.10 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई। पिछले 15 दिनों के दौरान इन दालों के कई उपभोग केंद्रों ने 20 प्रतिशत से अधिक का उछाल दर्ज किया है।

दालों की खुदरा कीमतों को स्थिर रखने के लिए उपभोक्ता मामलों के विभाग (डीओसीए) ने सितंबर में नेफेड (एनएएफईडी) के माध्यम से बफर स्टॉक से राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को दालों की आपूर्ति की एक व्यवस्था शुरू की थी। यह निर्णय लिया गया था कि राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों को पीडीएस की उचित मूल्य दुकानों और राज्य सरकार के अन्य विपणन/खुदरा दुकानों जैसे डेयरी और बागवानी, उपभोक्ता सहकारी समितियों आदि के विपणन केंद्रों के माध्यम से खुदरा आपूर्ति के लिए थोक और या/ खुदरा पैकेट में दालों की आपूर्ति की जाएगी। उपभोक्ताओं को मिल रही खुदरा कीमतों में हस्तक्षेप योजना को प्रभावी बनाने के लिए, खुदरा हस्तक्षेप के लिए दालों की कीमत को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) या डायनेमिक रिजर्व प्राइस (गतिशील आरक्षित मूल्य) (डीआरपी) में से जो भी कम है, उसके आधार पर निर्धारित किया गया है।

इसके आधार पर राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के सामने खुदरा हस्तक्षेप के लिए धुली उड़द को के-18 (खरीफ-2018 का स्टॉक) के लिए @79 रुपये प्रति किलोग्राम और के-19 के लिए 81 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से उपलब्ध कराने का प्रस्ताव रखा गया है। इसी तरह खुदरा हस्तक्षेप के लिए तूर को @85 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से उपलब्ध कराने का प्रस्ताव दिया गया है। अब तक आंध्र प्रदेश, केरल, महाराष्ट्र, बिहार और तमिलनाडु ने 1,00,000 मीट्रिक टन से अधिक तूर के लिए अपनी आवश्यकताओं को सामने रखा है। निकट भविष्य में और अधिक राज्यों के सामने आने की उम्मीद है।

इस खुदरा हस्तक्षेप के अलावा, डीओसीए ने बफर स्टॉक से 40,000 मीट्रिक टन तूर को ओपन मार्केट सेल (ओएमएस) में छोटे-छोटे लॉट में जारी करने का भी निर्णय लिया है, ताकि जारी की गई दाल तेज गति से खुदरा बाजार तक पहुंच सके और बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने में मदद कर सके।

भारत सरकार ने 2016 में दालों और प्याज का बफर स्टॉक बनाने के लिए दूरदर्शी कदम उठाया था, ताकि क्षमतापूर्ण और लक्षित हस्तक्षेप की रणनीति के माध्यम से इन जिंसों की खुदरा कीमतों को नियंत्रित किया जा सके। देश भर से कीमतों के आंकड़े जुटाना और कीमतों के रुझान की रियल टाइम की जानकारी जुटाना उद्देश्य है, जिसके आधार पर बफर स्टॉक का उपयोग सुनिश्चित किया जाता है।

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