अब समुद्री मार्ग से व्यापार करने वालों को नहीं देना होगा जलमार्ग उपयोग शुल्क, तीन साल के लिए माफ करने का ऐलान

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नई दिल्ली : जहाजरानी मंत्रालय ने परिवहन के एक पूरक, पर्यावरण अनुकूल तथा किफायती माध्यम के रूप में अंतर्देशीय जल परिवहन को बढ़ावा देने के सरकार के विजन पर विचार करते हुए तत्काल प्रभाव से जलमार्ग उपयोग शुल्क माफ करने का निर्णय लिया है। आरंभ में तीन वर्षों के लिए इस प्रभार को माफ किया गया है।

केंद्रीय जहाजरानी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार)  मनसुख मंडाविया ने कहा कि वर्तमान में कुल कार्गो आवाजाही का केवल दो प्रतिशत जलमार्ग के माध्यम से होता है। जलमार्ग उपयोग शुल्क माफ करने का फैसला उद्योगों को उनकी एक्सपोर्ट और इम्पोर्ट आवश्यकताओं के लिए राष्ट्रीय जलमार्गों का उपयोग करने को आकर्षित करेगा। मंत्री ने कहा कि पर्यावरण अनुकूल एवं परिवहन के एक किफायती माध्यम के रूप में यह न केवल अन्य परिवहन माध्यमों से बोझ को कम करेगा बल्कि व्यवसाय करन और आसान होगा जिससे व्यवसाय को भी बढ़ावा मिलेगा।

जल उपयोग प्रभार पोतों द्वारा सभी राष्ट्रीय जलमार्गों का उपयोग करने पर लागू था। यह ट्रैफिक आवाजाही के प्रशासन एवं ट्रैफिक डाटा के संग्रहण में एक बाधा थी। वर्तमान में, भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आईडब्ल्यूएआई) राष्ट्रीय जलमार्गों पर अंतर्देशीय कार्गो पोतों के चलाने पर प्रति किलोमीटर 0.02 रुपये की दर से सकल पंजीकृत टन भार (जीआरटी) एवं क्रूज पोतों के चलाने पर प्रति किलोमीटर 0.05 रुपये की दर से सकल पंजीकृत टन भार (जीआरटी) का प्रभार वसूलता है।

इस निर्णय से अंतर्देशीय जलमार्ग ट्रैफिक आवाजाही के 2019-20 के 72 एमएमटी से बढ़कर 2022-23 में 110 एमएमटी तक पहुंच जाने का अनुमान लगाया जाता है। इससे क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियों तथा व्यावसायिक विकास को लाभ पहुंचेगा।

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