वस्त्र समिति, मुंबई को भी अब पीपीई बॉडी कवर का परीक्षण और प्रमाणित करने का मिला अधिकार

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नई दिल्ली। वस्त्र समिति, मुंबई भी अब स्वास्थ्य कर्मियों और अन्य कोविड-19 योद्धाओं के लिए आवश्यक पीपीई बॉडी कवर का परीक्षण और प्रमाणित करेगी। कल शाम को वस्त्र मंत्रालय द्वारा वस्त्र समिति को बॉडी कवरॉल का परीक्षण करने और उसे प्रमाणित करने के लिए 9वीं अनुमोदित प्रयोगशाला के रूप में शामिल करने की घोषणा की गई।

वस्त्र समिति के सचिव और वस्त्र मंत्रालय में अतिरिक्त आयुक्त, अजीत चव्हाण ने बताया कि समिति ने कैसे पीपीई जांच उपकरणों के लिए प्रतिष्ठित घरेलू निर्माताओं की अनुपलब्धता की चुनौती को पूरा करने की दिशा में इस पर काम किया है: “पारदर्शिता, निष्पक्षता और पेशेवर सेवा, वस्त्र समिति के लिए कोई नई बात नहीं है। समितियों के समर्पित कार्यबल द्वारा इस अवसर पर आगे बढ़ने और कोविड-19 महामारी के खिलाफ लड़ाई में प्रयास करने के लिए यह हमारे द्वारा की गई एक और पहल है। हमने प्रतिष्ठित घरेलू विनिर्माताओं की अनुपलब्धता और चीन से उपकरणों का आयात करने में होने वाली लगातार देरी/लंबा समय जैसी चुनौतियों का सामना किया है और साथ ही दुनिया भर में ऐसे उपकरणों की मांग के कारण चीन की अवसरवादी कंपनियों द्वारा कीमतों में लगातार बढ़ोतरी वाली चुनौतियों का भी सामना किया हैं। इसलिए हमने इसका समाधान स्वदेशी तरीके से करने का फैसला किया है। हमने मशीन की परिकल्पना की और देश के भीतर ही इसका डिजाइन तैयार किया और खुद से इस महत्वपूर्ण उपकरण का उत्पादन किया, मतलब सिंथेटिक रक्त प्रवेश जांच उपकरण, जिसको सुरक्षात्मक कपड़े के लिए सामग्री की प्रतिरोधकता का निर्धारण करने के लिए रक्त और शरीर के तरल पदार्थों द्वारा प्रवेश कराना आवश्यक हैं।”

इस उपलब्धि को प्राप्त करने के लिए, वस्त्र समिति की टीम ने लगभग 45 दिनों का श्रमसाध्य कार्य किया है। राष्ट्रीय मान्यता निकाय, एनएबीएल (नेशनल एक्रीडिएशन बोर्ड फॉर टेस्टिंग एंड कैलिब्रेशन लेबोरेटरीज) ने लैब सुविधा केंद्रों का ऑडिट किया है और इसे तीन परीक्षण मानकों के अंतर्गत अनुमोदित किया है: ASTM F1670/ 16an70M: 17a, ISO 16603: 2004 और IS 16546: 2016।

सचिव ने बताया कि इस संकट की घड़ी में जांच उपकरण देश की कैसे मदद करेंगे: “इस उपकरण के अभिग्रहण से और जरूरत के हिसाब से कुछ अन्य उपकरणों को जोड़ने की ठोस योजना के साथ, हम न केवल मात्रात्मक बल्कि अग्रिम पंक्ति के स्वास्थ्य कर्मियों और अन्य कोविड-19 योद्धाओं द्वारा पहने जाने वाले बॉडी कवरॉल के परीक्षण में शामिल होकर गुणात्मक आवश्यकताओं को भी संबोधित करने में सक्षम होंगे।

श्री चव्हाण ने आश्वासन दिया: “गुणवत्ता के लिए दिए गए जनादेश के साथ एक गंभीर और पेशेवर परीक्षण वाले संगठन के रूप में, वस्त्र मंत्रालय द्वारा गुणवत्ता पर दिए गए निर्देशों का पालन करने के लिए ओवरटाइम काम किया जाएगा और इन प्रयासों को ज्यादा मजबूती प्रदान की जाएगी।

वस्त्र मंत्री, श्रीमती स्मृति जुबिन ईरानी के नेतृत्व में वस्त्र मंत्रालय यह सुनिश्चित करने की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है कि पीपीई कवरॉल की गुणवत्ता और मात्रा दोनों ही, दो महीने की अवधि के अंदर वांछित स्तर तक पहुंच सके, जिससे कि भारत चीन के बाद, दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा शरीर के कवरॉल निर्माता के रूप में पहचान बनाने में सक्षम बन सके। मंत्रालय द्वारा यह सुनिश्चित करने की दिशा में कदम उठाया गया है कि सरकारी निकायों में बॉडी कवरॉल की आपूर्ति करने के लिए, आपूर्ति श्रृंखला में पूरी तरह से केवल प्रमाणित खिलाड़ियों को ही अनुमति प्रदान की जाए। कई अधिकारियों को ऑनसाइट सुविधा प्रदान करने और सरकारी आपूर्ति के लिए निर्मित सामग्रियों की गुणवत्ता की निगरानी करने और इन निर्माताओं द्वारा गुणवत्ता का पता लगाने वाली क्षमता और स्वामित्व को सुनिश्चित करने के लिए इस क्षेत्र में तैनात किया गया है। पीपीई कवर के निर्माताओं द्वारा प्रस्तुत किए गए प्रत्येक पारित/ स्वीकृत प्रोटोटाइप नमूने के लिए एक अद्वितीय प्रमाणन कोड (यूसीसी) जारी किया गया है। प्रत्येक निर्मित कवरॉल पर निर्माता का नाम, निर्माण की तारीख और ग्राहक का नाम लिखा जाना आवश्यक है। यह प्रक्रिया भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले अस्पतालों और स्वास्थ्य संगठनों के लिए खरीद करने वाली एजेंसी, मेसर्स एचएलएल लाइफकेयर लिमिटेड द्वारा पूरी तरह से लागू की गई है। निर्माताओं द्वरा जमा किए जाने वाले नमूनों के साथ एक हलफनामा भी प्रस्तुत करना होता है, जिसमें उनकी विनिर्माण इकाई, जीएसटीआईएन नंबर, कंपनी पंजीकरण संख्या, उद्योग आधार नंबर या डीआईसी पंजीकरण संख्या और अन्य संबंधित विवरणों की जानकारी देनी होती है। उन्हें यह भी घोषणा करनी पड़ती है कि वे वस्त्र निर्माता हैं न कि व्यापारी। यह शपथ पत्र यूसीसी प्रमाण पत्र के एक भाग के रूप में होता है।

जनता द्वारा सत्यापन करने के लिए, सभी यूसीसी प्रमाण पत्रों का विवरण डीआरडीओ, ओएफबी (आयुध कारखाना बोर्ड) और सीट्रा की आधिकारिक वेबसाइटों पर उपलब्ध है।

अन्य आठ प्रयोगशालाएं निम्न हैं: (i) दक्षिण भारत वस्त्र अनुसंधान संघ (सीट्रा), कोयंबटूर, तमिलनाडु, (ii) डीआरडीओ-आईएनएमएएस, नई दिल्ली, (iii) हैवी व्हीकल फैक्ट्री, अवार्डी, चेन्नई (iv) स्मॉल आर्म्स फैक्ट्री, कानपुर, उत्तर प्रदेश, (v) आयुध कारखाना, कानपुर, उत्तर प्रदेश (vi) आयुध कारखाना, मुरादनगर, उत्तर प्रदेश (vii) आयुध कारखाना, अंबरनाथ, महाराष्ट्र और (viii) मेटल एंड स्टील फैक्टरी, ईशापोर, पश्चिम बंगाल। इन सभी प्रयोगशालाओं को एनएबीएल द्वारा मान्यता प्राप्त है।

वस्त्र समिति के संदर्भ में

संसद के एक अधिनियम के द्वारा, वर्ष 1963 में स्थापित की गई यह वस्त्र समिति एक वैधानिक निकाय है जो कि भारत सरकार के वस्त्र मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में आता है। इसकी स्थापना आंतरिक खपत और निर्यात दोनों को बढ़ावा देने वाले उद्देश्यों के लिए, वस्त्र की गुणवत्ता और वस्त्र मशीनरी को सुनिश्चित करने के लिए की गई है। समिति को वस्त्र और वस्त्र मशीनरी का परीक्षण करने के लिए प्रयोगशालाओं की स्थापना करने तथा वस्त्र उत्पादों और वस्त्र मशीनरी की गुणवत्ता को सुनिश्चित करने जैसे मुख्य उद्देश्यों वाले कार्यों के अलावा, उनका निरीक्षण और जांच सुनिश्चित कराने वाले कार्यों का काम भी सौंपा गया है।

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