लॉक डाउन के कारण बिहार की सभी यूनिवर्सिटीज में प्रो वीसी की नियुक्ति टली, आवेदन की अंतिम तिथि 30 अप्रैल तक बढ़ाई गई

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सुभाष चंद्र चौधरी

पटना । कोरोनावायरस संक्रमण रोकथाम के लिए देशभर में जारी लॉक डाउन को लेकर देश के सभी शिक्षण संस्थाओं की व्यवस्था में काफी बदलाव किया गया है । इसी कड़ी में बिहार राज्य की सभी यूनिवर्सिटी के लिए प्रो वी सी के पद पर नियुक्ति की प्रक्रिया भी विलंबित कर दी गई है । इस संबंध में बिहार की सभी यूनिवर्सिटीज के चांसलर की ओर से जारी आदेश में दोनों ही पदों के लिए सभी यूनिवर्सिटीज के लिए आवेदन पत्र जमा कराने की अंतिम तिथि आगामी 30 अप्रैल तक बढ़ा दी गई है।

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री डॉक्टर रमेश पोखरियाल निशंक की ओर से देश के सभी राज्यों के शिक्षण संस्थानों, विश्वविद्यालयों एवं तकनीकी संस्थानों के लिए जारी एडवाइजरी का असर दिखने लगा है। डॉ निशंक की ओर से पिछले दिनों सभी संस्थानों के प्रमुखों के नाम जारी एडवाइजरी में कहा गया था कि अध्ययन व्यवस्था से लेकर , परीक्षा का आयोजन, नियुक्ति की प्रक्रिया या फिर अन्य आवश्यक ऑफिशियल कामकाज को या तो ऑनलाइन आरंभ किया जाए या फिर उसे 30 अप्रैल तक बढ़ा दिया जाए। समझा जाता है कि इसी आधार पर बिहार के सभी यूनिवर्सिटी के चांसलर जो राज्यपाल होते हैं की ओर से शुक्रवार देर शाम को जारी आदेश में प्रदेश की सभी यूनिवर्सिटी के लिए प्रो वाइस चांसलर के पद पर होने वाली नियुक्ति की प्रक्रिया को विलंबित करने का आदेश जारी किया गया है।

इस आदेश में कहा गया है कि चांसलर के आदेशानुसार सभी यूनिवर्सिटी के लिए प्रो वाइस चांसलर के पद के लिए आवेदन जमा कराने की अंतिम तिथि 30 अप्रैल तक बढ़ा दी गई है । इसमें तिलका मांझी यूनिवर्सिटी भागलपुर , पटना यूनिवर्सिटी पटना, बी आर ए बिहार यूनिवर्सिटी मुजफ्फरपुर, एल एन मिथिला यूनिवर्सिटी दरभंगा, मौलाना मजहरूल हक अरेबियन एंड पर्शियन यूनिवर्सिटी पटना, बी एन मंडल यूनिवर्सिटी मधेपुरा , जेपी यूनिवर्सिटी छपरा और के एस डी संस्कृत यूनिवर्सिटी दरभंगा के नाम शामिल हैं जिनके लिए प्रो वाइस चांसलर के पद पर नियुक्ति के आवेदन मांगे गए थे ।
अब इन सभी यूनिवर्सिटी के लिए इच्छुक आवेदन कर्ता अपना आवेदन 30 अप्रैल तक जमा करा पाएंगे।

उल्लेखनीय है की देश में कोविड-19 संक्रमण की दृष्टि से व्याप्त आशंका और भय के वातावरण में रोकथाम के लिए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एहतियाती कदम उठाते हुए सभी राज्यों में एकमुश्त लॉक डाउन की घोषणा की थी ।आज इस लॉक डाउन का दसवां दिन है और अगर सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो आगामी 14 अप्रैल को यह समाप्त कर दिया जाएगा । हालांकि देश के सभी राज्यों से पिछले 5 दिनों से लगातार कोरोना पॉजिटिव के नए मामले सामने आने लगे हैं और प्रतिदिन औसतन 500 से ज्यादा नए मामले आ रहे हैं जो सरकार के लिए चिंता पैदा करने वाला है ।

2 दिन पूर्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से इस मामले में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मंत्रणा की थी और उन्होंने सभी मुख्यमंत्रियों से लॉक डाउन समाप्त करने के तौर-तरीके और इससे उत्पन्न होने वाली स्थितियों से कैसे निपटा जाए सुझाव मांगे थे । ऐसे में आशंका इस बात की है की आगामी 14 अप्रैल को लॉक डाउन पूर्णत समाप्त किए जाएंगे या फिर चरणबद्ध तरीके से या अलग-अलग राज्यों की स्थितियां और परिस्थितियों का आकलन करते हुए आंशिक छूट देने की नीति अपनाई जाएगी।  इस संबंध में सप्ताह के शुरू में ही देश के कैबिनेट सचिव राजीव गौबा ने यह कहते हुए आशंका समाप्त करने की कोशिश की थी कि लॉक डाउन को 14 अप्रैल से आगे नहीं बढ़ाया जाएगा लेकिन उनके इस कथन के बाद करुणा पॉजिटिव के नए मामले आने की संख्या लगातार बढ़ती चली गई।  दूसरी तरफ दिल्ली के निजामुद्दीन में मरकज निजामुद्दीन भवन में विदेशी और देसी तबलीगी जमातों  के गैर जिम्मेदाराना रवैए के कारण उत्पन्न स्थिति ने हालात को पूरी तरह बदल कर रख दिया है।  अब केंद्र सरकार और सभी राज्य सरकारें इस संबंध में क्या कदम उठाती हैं भविष्य के गर्भ में है । जाहिर है , कोई भी सरकार राजनीतिक या सामाजिक तौर पर जोखिम लेने की स्थिति में नहीं है इसलिए इस संबंध में कुछ भी कयास लगाना अव्यावहारिक होगा।

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