देश के मंदी में फंसने और कंपनियों के दिवालिया होने का खतरा मंडराने लगा

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नई दिल्ली, 28 मार्च । कोरोना के मार की भारतीय अर्थव्यवस्था पर बहुत बुरा असर पड़ने की आशंका है। रिसर्च एजेंसी डन एंड ब्रैडस्ट्रीट की एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए किए गए 21 दिनों के लॉकडाउन से कई सेक्टरों के कारोबार पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है। इनमें विनिर्माण, वित्त एवं बैंकिंग और पेट्रोलियम समेत कई अन्य क्षेत्र शामिल हैं।

एजेंसी के ताजा आर्थिक अनुमान के मुताबिक देश के मंदी में फंसने और कई कंपनियों के दिवालिया होने की आशंका बढ़ गई है। पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर मंदी का खतरा मंडरा रहा है और इससे भारत भी नही बच सकता है। एजेंसी के मुख्य अर्थशास्त्री अरुण सिंह ने कहा कि चीन के साथ ही दुनियाभर के कई और मैन्यूफैक्चरिंग केन्द्र भी लॉकडाउन से गुजर रहे हैं। इसलिए वैश्विक आपूर्ति शृंखला खराब होने और वैश्विक विकास दर घटने का खतरा ज्यादा बढ़ गया है।

भारत की अर्थव्यवस्था के बारे में सिंह ने कहा कि 21 दिनों के लॉकडाउन के कारण भारत की विकास दर में और गिरावट आ सकती है। वित्त वर्ष 2019-20 में यह पांच फीसदी के हमारे पुराने अनुमान से भी नीचे गिर सकती है। यह भी कहा कि अगले कारोबारी साल की विकास दर के बारे में अभी अनुमान लगाना कठिन है।

अर्थव्यवस्था के चौतरफा संकट में फंसने के बावजूद महंगाई के मोर्चे पर राहत मिलने की उम्मीद है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मांग और उत्पादन गतिविधियों में कमी, क्रूड की अंतरराष्ट्रीय कीमत में भारी गिरावट, ऊर्जा, बेस मेटल और उर्वरक जैसी कई प्रमुख कमोडिटी के भाव में गिरावट के कारण महंगाई में कमी आ सकती है। रिपोर्ट के मुताबिक मार्च 2020 में खुदरा महंगाई दर 6.5 फीसदी से 6.7 फीसदी के दायरे में रह सकती है। जबिक थोक महंगाई दर 2.35 फीसदी से 2.5% के दायरे में रह सकती है।

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