चिराग पासवान क्यों हो गए हैं नीतीश कुमार सरकार पर हमलावर ?

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सुभाष चन्द्र चौधरी 

पटना :  लोक जनशक्ति पार्टी के प्रमुख और जमुई से लोकसभा सांसद चिराग पासवान आज कल नीतीश कुमार सरकार पर हमलावर हो गए हैं. लगभग 5 साल बाद जब विधानसभा चुनाव सामने है उनको बिहार में जदयू भाजपा लोजपा गठबंधन वाली सरकार में खामी दिखने लगी है. बड़ा सवाल यह है कि आखिर इतने लंबे समय बाद युवाओं को आकर्षित करने की कोशिश में जुटे चिराग पासवान को सरकार के कामकाज में अब क्यों हमें दिखने लगी. राजनीतिक विश्लेषक इसे लोजपा नेता एवं केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की राजनीतिक नक्शे कदम पर की हूबहू कॉपी करना बता रहे हैं.  राजनीतिक इतिहास बताता है कि जब भी चुनाव का मौसम आता है तब रामविलास पासवान जिस किसी गठबंधन में रहे हैं अक्सर अपने सुर बदल बदलने लगते रहे हैं. जाहिर है इसके पीछे उनका आशय चुनाव में अधिक से अधिक सीटें हासिल करना जबकि दूसरी तरफ जनता की नजर में गठबंधन की राजनीति में रहते हुए भी अन्य पार्टियों से अलग विपक्ष की भूमिका मैं दिखने की चाहत रहती है. 

यही कारण है कि पूर्व में लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान भी चुनाव से कुछ माह पूर्व रामविलास पासवान के सुर बदलने लगे थे. कई राष्ट्रीय मुद्दों पर भाजपा से अलग सोच प्रदर्शित करने वाले बयान जारी करने लगे थे . नतीजतन भाजपा की मजबूरी दिखी और बिहार में उन्हें उनके मनोनुकूल लोकसभा क्षेत्रों की सीटें मिली.  साथ ही राज्यसभा की भी एक सीट देने की बात की गई.  इससे रामविलास पासवान एक बार फिर केंद्रीय मंत्री बन पाए जबकि राज्यसभा में भी लाए गए.  जाहिर है उनका राजनीतिक भविष्य अगले कई वर्षों तक सुरक्षित हो गया.

अब चिराग पासवान को उन्होंने अपनी पार्टी का कमान सौंप दिया है. ऐसा लगता है कि लोजपा के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान भी उनके ही नक्शे कदम पर चलने लगे हैं. बल्कि यूं कहा जाए कि वह भी राजनीतिक दृष्टि से हवा के रुख को देखकर अपनी दिशा बदलने में माहिर हो गए हैं. पिछले लगभग पौने 5 वर्षों के दौरान बिहार में चल रही नीतीश कुमार सरकार जिनके साथ भाजपा भी मंत्रिमंडल में शामिल है के कामकाज को लेकर कभी ऐसा तेवर देखने को नहीं मिला . अब जबकि विधानसभा चुनाव की तैयारी में सभी पार्टियां जुट गई हैं और गठबंधन के तहत सीटों के बंटवारे को लेकर विचार-विमर्श शुरू है ऐसे में प्रशासनिक कामकाज को लेकर सवाल खड़ा किया जाना लोगों को आश्चर्यचकित नहीं कर रहा.  हां स्वयं को चर्चा में लाने में चिराग पासवान जरूर कामयाब हुए हैं. 

उल्लेखनीय है कि उन्होंने पिछले दिनों कई जिले का दौरा कर जिले में पुलिस सुरक्षा की दृष्टि से 100 नंबर काम नहीं करने का मुद्दा उठाया है. बिहार में पटना जिला को छोड़ कर लगभग सभी जिलों में 100 नम्बर काम नहीं करता है। ऐसे में किसी को सुरक्षा का विश्वास कैसे होगा। उन्होंने कहा है कि आज मैं यहाँ नालंदा में हूँ और यहाँ भी 100 नम्बर काम नहीं करता है।मैं मुख्यमंत्री को इस समस्या से भी अवगत करवाऊँगा व पार्टी के विज़न डॉक्युमेंट में भी शामिल करूँगा।

यही नहीं चिराग पासवान ने पूर्व राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद के जन्म दिवस 3 दिसम्बर को राष्ट्रीय मेधा दिवस घोषित करने के लिए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को भी पत्र लिखा है। उन्होंने कहा है कि प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को बेहतर करने की ज़रूरत है।नियोजित शिक्षकों की समस्याओं के समाधान हो इसके लिए शिक्षकों को समस्याओं को भी इसको पार्टी के घोषणा पत्र यानी #बिहार1stबिहारी1st विज़न डॉक्युमेंट 2020 में डाला जाएगा। आज कल वे आज #बिहार1stबिहारी1st यात्रा के तहत सभी जिले में पार्टी की रैली कर इन मुद्दों को उजागर कर रहे  हैं. अभी हाल में उन्होंने दारोगा भर्ती की प्रक्रिया को लेकर भी सीएम नीतीश कुमार को पत्र लिखा है और उस पत्र को जनता के लिए जारी भी कर  दिया है. इससे उनकी मंशा जाहिर होती है. 

उन्होंने तर्क यह दिया है कि वे गठबंधन में शामिल तो हैं लेकिन बिहार सरकार में शामिल नहीं है. लिहाजा जिन सवालों को अभी उठा रहे हैं उसको उन्होंने अपनी पार्टी की ओर से नीतीश सरकार के लिए सुझाव देने की संज्ञा दी है.  वास्तव में यह है तो  अटपटा लेकिन उनकी राजनीति तभी आने वाले अगले 5 वर्षों के लिए मजबूत होगी जब वे अधिक से अधिक विधानसभा की सीटें अपनी पार्टी के पक्ष में ले पाएंगे .

 इशारा साफ है कि अधिक से अधिक सीटें लेकर और गठबंधन के तहत चुनाव जीत कर उनके विधायक विधानसभा में पहुंचेंगे तभी आने वाली पंचवर्षीय योजना में नीतीश कुमार सरकार में अपनी पार्टी के प्रतिनिधियों को शामिल कराने में सफल हो सकेंगे. उनकी यह कोशिश है कि आने वाली सरकार मैं भी उनका दबदबा हो.  महत्वपूर्ण विभागों पर उनकी भी पकड़ हो जिससे बिहार की जनता में लोक जनशक्ति पार्टी को और अधिक मजबूती से वह विस्तार दे पाए.

राजनीतिक विश्लेषक यह मानते हैं कि चिराग पासवान के ये तेवर साफ संकेत दे रहे हैं कि वह तल्ख लहजे में आकर भाजपा जदयू लोजपा गठबंधन में सर्वाधिक सीटें हासिल करने में जुट गए हैं. उन्हें लगता है कि सरकार की खामियों को उजागर कर ही वे जनता में अपनी पहचान बना पाएंगे जबकि उन्हें मनाने की कोशिश होगी. क्योंकि विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी का भी महत्व भाजपा जदयू के लिए है और अगर राजद कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों को पीछे छोड़ना है तो लोजपा को नजरअंदाज करना भाजपा जदयू के लिए मुश्किल होगी.

गाहे-बगाहे लोजपा हर चुनावी मुहाने पर संकेत देते रहे हैं कि वे दूसरे दलों वाले गठबंधन के साथ भी तालमेल स्थापित कर सकते हैं. इस प्रकार के राजनीतिक खतरे से बचने के लिए भाजपा जदयू की ओर से उन्हें रोकने की कोशिश होगी और विधानसभा में उनके मनोनुकूल उनके नाम सीटें आवंटित कर दी जायेंगी. 

चिराग पासवान की यह फिरकी कितनी कामयाब होगी यह आने वाले समय बताएगा लेकिन उनकी बय्नाबाजी से विपक्ष को एक मुद्दा मिल गया है. राजद और कांग्रेस के लोग अब नीतीश कुमार सरकार पर ताना अवश्य मारेंगे कि जब उनकी सहयोगी पार्टी ही सरकार की खामियां उजागर कर रहे हैं और उनकी नीतियों पर सवाल खड़े कर रहे हैं तो फिर विपक्ष सरकार को नाकाम कहता है तो क्या गलत है. 

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