कृषि मंत्री का दावा : पराली जलाने की घटनाओं में आई कमी !

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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा वर्ष 2017 में दिल्ली के आसपास के राज्यों में पराली जलाने की घटनाओं के कारण दिल्ली एनसीआर में होने वाले प्रदूषण का संज्ञान लेते हुए सचिव, कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग (डेयर) की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय तकनीकी समिति का गठन किया गया था। समिति ने अपने प्रतिवेदन में पराली जलाने की घटनाओं पर नियंत्रण हेतु पराली को मशीनों द्वारा प्रसंस्करण किये जाने की अनुशंसा की थी। समिति की अनुशंसा के दृष्टिगत कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा एक योजना तैयार की गयी जिसकी घोषणा बजट 2018-19 में की गयी।

योजना के अनुसार पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश एवं दिल्ली एनसीआर की सरकारों के प्रदूषण कम करने के प्रयासों को समर्थन देने के लिए पराली प्रसंस्करण में इस्तेमाल होने वाली लगभग आठ (8) प्रकार की मशीनों पर इन राज्यों के किसानों को 50% मूल्य आधारित वित्तीय सहायता DBT के माध्यम से तथा किसानों के समूहों को 80% मूल्य आधारित वित्तीय अनुदान देने का प्रावधान किया गया। इसके अंतर्गत वर्ष 2018-19 एवं 2019-20 हेतु कुल 1151.80 करोड़ रूपये प्रस्तावित किए गये। यह योजना पूर्णतः (100%) केंद्र सरकार द्वारा वित्त पोषित है तथा कार्यान्वयन संबंधित राज्य सरकारों के माध्यम से किया गया है। इस योजना का आच्छादन सार्वभौमिक (सभी के लिए) है।

इस स्कीम के अंतर्गत 2018-19 में पंजाब, हरियाणा, उत्तरप्रदेश सरकारों और आईसीएआर (IEC) हेतु कुल 584.33 करोड़ रूपये जारी किए जिसके द्वारा 56290 मशीनों की खरीद पर वित्तीय सहायता प्रदान की गयी, जिसमें से 32570 मशीनें व्यक्तिगत स्वामित्व के आधार पर तथा 23720 मशीनें किसानों के समूह (custom hiring center) हेतु प्रदान की गयी।

अद्यतन सूचना के आधार पर वर्ष 2019-20 के दौरान इस स्कीम के अंतर्गत राज्य सरकारों पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश एवं दिल्ली NCT को अभी तक 594.14 करोड़ रूपये निर्गत किए जा चुके हैं। जिससे 29488 मशीनों की खरीद पर वित्तीय सहायता प्रदान की गयी है। जिनमें से 10379 मशीने किसानों को तथा 19109 मशीनें किसान समूहों (Custom Hiring Center) को दी गयी है।

ICAR की Creams प्रयोगशाला की दिनांक 4 नवंबर को जारी बुलेटिन संख्या 34 (http://creams.iari.res.in पर उपलब्ध) के अनुसार इस वर्ष तीन राज्यों (पंजाब, हरियाणा एवं उत्तरप्रदेश) में पराली जलाने की घटनाओं में अभी तक 12.01% की कमी देखी गयी है। गत वर्ष इस अवधि में 35717 पराली जलाने की घटनाएं हुई थीं, जो इस वर्ष घटकर 31402 हो गयी हैं। इनमें पंजाब में पिछले साल इसी अवधि में 27584 घटनाएं हुई थीं, जो इस वर्ष घटकर 25366 (8.7% की कमी) रह गयी है। हरियाणा में पिछले वर्ष 5000 पराली जलाने की घटनाएं हुई थीं, जो इस साल घटकर 4414 (11.7% की कमी) रह गयी है एवं उत्तर प्रदेश में पिछले वर्ष 3133 पराली जलाने की घटनाएं हुई थीं, जो इस साल घटकर 1622 (48.2% की कमी) रह गई हैं।

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