आठ वर्षों में लड़की से लड़का बन गई सौम्या !

Font Size

पटना : करीब 31 साल की पटना की सौम्या अब लड़की नहीं रही। उसका लड़के में कायांतरण हो गया है। बचपन से अपने ‘महिला शरीर’ में खुद को असहज महसूस कर रही सौम्या आखिरकार आठ वर्षों की जटिल कानूनी प्रक्रिया और मेडिकल जांच के बाद स्त्री शरीर से मुक्त हो गई। अब वह पूरी तरह पुरुष बन चुकी है। 31 वर्ष की सौम्या का नया नाम समीर है। बेंगलुरु के एक नामचीन प्लास्टिक सर्जन के नेतृत्व में जटिल सर्जरी के बाद सौम्या का सेक्स बदल चुका है। इसी शनिवार (22 जून) को हुई यह सर्जरी पूरी तरह कामयाब रही। सौम्या अब समीर भारद्वाज बन चुकी है। शारीरिक और कानूनी दोनों रूपों में यह साकार हो गया है।

लड़की से लड़के में तब्दील हुए

लड़की से लड़के में तब्दील हुए इस रूप को उसके परिवार ने भी सहर्ष स्वीकार कर लिया है डाक्टरों की राय में समीर भारद्वाज अब पिता बनने में भी सक्षम है। सौम्या समस्तीपुर जिले के मुजौना गांव की मूल वासी है। उसके पिता डॉ. लक्ष्मीकांत सजल जाने-माने शैक्षिक लेखक हैं।एयरोनॉटिकल इंजीनियर सौम्या के समीर भारद्वाज बनने की पूरी प्रक्रिया आठ वर्षों में पूरी हुई है। बचपन से ही सौम्या के हाव-भाव लड़कों जैसे थे। न तो उसे लड़कियों के कपड़े पसंद थे और न ही लड़कियों वाले चप्पल-जूते। लड़कियों के ड्रेस में वह सिर्फ स्कूल जाती थी। बाकी वक्त लड़कों जैसे कपड़े पहनकर घूमती बिहार की महिला क्रिकेट टीम में भी उसका चयन हुआ। उसने कई राज्यों के साथ मैच खेले और विपक्षी टीमों को धूल चटाई। दसवीं के बाद जब कोचिंग करने वह कोटा गई, तो राजस्थान की महिला क्रिकेट टीम में शामिल होने का उसे आमंत्रण भी मिला

सौम्या ‘महिला शरीर’ से मुक्ति पाना चाहती थी

एक न्यूज चैनल से बातचीत में उसने बताया कि बचपन से ही सौम्या ‘महिला शरीर’ से मुक्ति पाना चाहती थी। एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरा करने के बाद से ही वह इसमें लग गई। वह भी घर-परिवार के सदस्यों को बिना बताए। इसके लिए पहले उसे मनोवैज्ञानिक रूप से दो वर्षों की काउंसिलिंग के दौर से गुजरना पड़ा। उसके बाद मानसिक और शारीरिक स्तर पर कई घंटों की जांच चली। तब कहीं जाकर ‘उसे जेंडर आइडेंटिटी डिस्फोरिया’ का सर्टिफिकेट मिला। ‘जेंडर आइडेंटिटी डिस्फोरिया’ के सर्टिफिकेट के आधार पर हॉस्पिटल में इंडोक्रियोलॉजिस्ट के विशेषज्ञ द्वारा हार्मोन की जांच की गई। इसके साथ और भी कई तरह की कठिन जांच हुई। फिर, हार्मोन थेरेपी शुरू हुईं। इस थेरेपी के जरिये शरीर में ‘मेल हार्मोन’ की मात्रा बढ़ाई गई। इससे ‘पुरुष शरीर’ के रूप में उनका ‘महिला शरीर’ बदलने लगा।

लाखो में किसी के साथ ऐसा बदलाव संभव है
खास बात यह है कि एक लाख में एक शरीर में ही ऐसा शारीरिक बदलाव संभव होता है। इसके बाद शुरू हुई कानूनी प्रक्रिया। जब यह प्रक्रिया पूरी हो गई, तो सर्जरी की बारी आई। बेंगलुरु के एस्टर सीएमआइ हॉस्पिटल में देश के जाने-माने सर्जन डॉ. मधुसूदन ने डॉक्टरों की अपनी टीम के साथ गत 22 जून को सौम्या की जटिल सर्जरी की। तकरीबन छह घंटे तक चली सर्जरी पूरी तरह सफल रही। और सौम्या का शारीरिक पुनर्जन्म समीर भारद्वाज के रूप में हुआ।अब नई उड़ान भरने को तैयार हूं। मेरी शादी की शहनाई भी जल्द बजने वाली है। खास बात यह है कि समीर से शादी करने को तैयार लड़की भी एयरोनॉटिकल इंजीनियर है। उसने सौम्या को लड़का बनने की प्रक्रिया में भी भरपूर साथ दिया है। सोम्या के माता पिता ने कहा को हमलोग पहले सौम्या के लिए लड़का ढूंढ़ रहे थे। वह अब बेटा बन चुकी है। बहू भी खोज ली है। जल्द ही बेटे समीर की शादी कर बहू घर लायेंगे। बहुत खुशी हो रही है।

कंपनी ने उठाया पूरा खर्चा

सौम्या की सर्जरी बेंगलुरु के एस्टर सीएमआई हास्पीटल के सर्जन डॉ. मधुसूदन ने की है। डॉ. महेश एमएस और डॉ. आदित्य समेत पूरी टीम ने करीब 6 घंटे की सर्जरी की। सर्जरी पर आया लायरोनॉटिकल इंजीनियर है

साभार : bordernewsmirror.com

You cannot copy content of this page