गुरुग्राम में बैठ कर ठगते थे अमेरिका के लोगों को : साइबर क्राइम पुलिस गुरुग्राम ने किया खुलासा

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एक वर्ष से  चल रहा था फर्जी काल सेंटर, 4 लोगों को फर्जी काल सैन्टर से काबू किया 

सॉफ्टवेयर की सहायता देने के बहाने कंप्यूटर हैक कर उनकी सारी डिटेल हथिया लेते थे

फर्जी काल सेंटर की कमाई प्रति माह 10 से 15 लाख रूपये

पुलिस पूछताछ में कई और लोगों के शामिल होने का हुआ खुलासा  

सुभाष चौधरी

गुरुग्राम : विदेशी लोगों को आनलाईन तकनीकी सहायता देने के बहाने बड़े पैमाने पर आर्थिक धोखाधड़ी व ठगी करने वाले फर्जी काल सैन्टर का थाना साईबर, गुरुग्राम की पुलिस टीम ने भन्डाफोङ किया है। मौके से बारामद रिकॉर्ड के अनुसार यह काल सेंटर पिछले एक वर्ष से चल रहा था. इनकी ठगी का सर्वाधिक शिकार अमेरिका के लोग हुए हैं. सॉफ्टवेयर मशहूर कंपनी माइक्रोसॉफ्ट के नाम पर सॉफ्टवेयर की सहायता देने के बहाने लोगों के कंप्यूटर हैक कर चुपके से उनकी सारी डिटेल हथिया लेते थे. इस मामले में पुलिस टीम ने 4 लोगों को फर्जी काल सैन्टर से काबू किया है. पुलिस ने मौके से लैपटोप, सी.पी.यू. और पैन ड्राईव सहित एनी तकनीकि सामान भी बरामद किये हैं।

यह जानकारी गुरुग्राम पुलिस आयुक्त, मोहम्मद अकील ने दी. पुलिस आयुक्त पुलिस मुख्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में खुलासा किया कि 27 मई को थाना साईबर, गुरुग्राम की पुलिस टीम को जानकारी  मिली थी कि प्लाट नं. 427, उद्योग विहार फेस-3, गुरुग्राम में एक फर्जी काल सैन्टर चलाया जा रहा है। इस फर्जी काल सैन्टर पर फोन व इन्टरनेट के माध्यम से विदेशी लोगों को आनलाईन तकनीकी सहायता देने झांसा देकर बड़े पैमाने पर धोखाधङी व ठगी की जाती है।

 

मो. अकील ने बताया कि सूचना के आधार पर एसीपी, साइबर क्राइम, करण गोयल की देखरेख में उक्त काल सैन्टर पर रेङ करने के लिए एक रेङिग पुलिस टीम का गठन किया गया. इस टीएम में साइबर थाना के एसएचओ, इंस्पेक्टर सुरेश कुमार, ए एस आई पवन सहित कई पुलिस कर्मी शामिल थे. साइबर क्राइम पुलिस टीम ने उक्त काल सैन्टर पर छापा मारा. मौके पर पुलिस टीम ने कई व्यक्तियों को कम्पयूटर पर काम करते हुए व अंग्रेजी भाषा में बात करते हुए पाया. जब उनके कम्पयूटर चैक किये गए तो उनमें विदेशी व्यक्तियों की डिटेल मिली. उनमें विदेशों के लोगों का पता, मेल आई.डी., मोबाईल नं., उनके कार्ड की डिटेल, सी.सी.टी.वी. नम्बर, एक्पायरी डेट के साथ साथ उनसे वसूले गए पैसों का विरवरण भी पाया गया।

एक सवाल के जवाब में पुलिस आयुक्त ने बताया कि जब पुलिस टीम द्वारा इस काल सैन्टर से सम्बन्धित दस्तावेज माँगे गए तो उनके पास किसी प्रकार की अनुमति या काल सैन्टर से सम्बन्धित आवश्यक दस्तावेजा नही थे. इससे स्पष्ट हो गया कि वे लोग नियम विरुद्ध काल सैन्टर चला रहे थे. पुलिस ने उक्त फर्जी काल सेंटर से 4 लोगों को हिरासत में ले लिया. इनमें अजय मिश्रा पुत्र विनोद मिश्रा निवासी द्वारका, दिल्ली,  अमरिश चौधरी पुत्र जीवन चौधरी निवासी अशोक विहार, गुरुग्राम, मीरजहां पुत्र नीर मुखतियार निवासी महिपालपुर, दिल्ली और  अंकित सक्सेना पुत्र अनील कुमार निवासी द्वारका, दिल्ली शामिल हैं.

 

सभी आरोपियों के खिलाफ साईबर अपराध थाना, गुरुग्राम में मंगलवार को धारा 406, 420, 120बी भा.द.स. व 66डी, 75 आई.टी.एक्ट के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू की गयी है. उनका कहना है कि पुलिस टीम द्वारा फर्जी काल सैन्टर से बरामद किये गए लैपटोप, सी.पी.यू. पैन ड्राईव जैसे तकनीकि उपकरणों की जांच चल रही है. आरंभिक जांच से यह स्पष्ट है कि ये लोग गैरकानूनी धंधे चला रहे थे..

 

साइबर क्राइम सेल के एसीपी करण गोयल के अनुसार उक्त आरोपियों ने पुलिस पूछताछ में खुलासा किया है कि वे विदेशी लोगों से आनलाईन तकनीकी (MS-Windows, Printer MS-office related errors) सहायता देने के नाम पर कम्पयूटर का रिमोट एक्सेस लेकर उनसे ठगी कर लेते थे। कभी-कभी तो ये उनके बैंकिग सिस्टम तक को हैक कर लेते थे। ये लोग मूलतः अमेरिका के लोगों को अपना शिकार बनाते रहे हैं। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि विदेश के लोगों के साथ इस प्रकार की धोखाधङी इसलिए करते थे ताकि इनके द्वारा की गई धोखाधङी की शिकायत पुलिस को आसानी से न की जा सके। ये पेमेन्ट वरचुअल पेमेन्ट गेटवे, क्रेडिट/डेबिट कार्ड, गिफ्ट कार्ड, आई. ट्यून्स कार्ड इत्यादि के माध्यम से ही करवाते थे। हालाँकि अभी तक मिले रिकॉर्ड में इनके एक अकाउंट का पता चला है जो एक्सिस बैंक से सम्बंधित है.

अब तक कितने लोगों को इन्होने शिकार बनाया है इस सवाल पर उनका कहना था कि इसके रिकॉर्ड खंगाले जा रहे हैं. इस सम्बन्ध में अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी. विदेशों में रह रहे लोग इन्हें डॉलर में भुगतान करते थे. माना यह जा रहा है कि इस फर्जी काल सेंटर की कमाई प्रति माह 10 से 15 लाख रूपये रही है. एसीपी साइबर क्राइम ने बताया कि आरंभिक जांच से पता चला है कि यह फर्जी काल सेंटर पिछले एक वर्ष से चल रहा था.

संकेत मिले हैं कि इसमें कम से कम 10 लोग शामिल हो सकते हैं जिनमें चार को मौके से गिरफ्तार किया गया है जबकि पूछताछ में दो और लोगों के नाम का खुलासा हुआ है और अन्य आरोपियों की जानकारी जुटाई जा रही है.

इनका अधिकतम फोकस यूएसए  में रह रहे लोगों को अपनी ठगी का शिकार बनाने पर था. यहाँ तक कि मशहूर कंपनी माइक्रोसॉफ्ट का नाम लेकर भी ये लोग इस तरह की ठगी करते थे। इस संदर्भ में माइक्रोसॉफ्ट कंपनी के कुछ प्रतिनिधि पुलिस आयुक्त से भी मिले थे।

सभी चार आरोपियों को आज अदालत में पेश किया गया. अदालत ने फर्जी कॉल सेंटर मामले में आरोपी अजय मिश्रा व अमरीश चौधरी को  पूछताछ हेतू एक दिन के लिए पुलिस रिमांड पर दिया है। ये दोनों इस मामले के सरगना हैं। इस मामले में इनका एक और पार्टनर अभी पुलिस की पकड़ से बाहर है।अन्य दोनों आरोपियों को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है।

पुलिस हिरासत रिमाण्ड के दौरान उक्त आरोपियों से गहन पूछताछ होगी. उन होने आशंका जताई कि इनके साथ अन्य लोग भी शामिल हो सकते हैं. इसका पता लगाने का प्रयास भी किया जाएगा. पूछताछ में इनके अन्य साथियों व उनके द्वरा अब तक कितने लोगों के साथ धोखाधङी की गयी है इसकी जानकारी भी जुताई जायेगी. पुलिस जांच में इन लोगों द्वारा उपयोग किये जा रहे तकनीकि माध्यमों व तौर तरीके तथा अब तक की गई ट्रान्जेक्शनों के विवरण के बारे में भी पूछताछ की जाएगी। मामले की जांच जारी है।

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