तंत्रशास्त्र : कैसे करें तंत्र का निर्माण ?

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दीपावली की महानिशा व धनतेरस सर्वाधिक उपयुक्त दिन

तंत्र शास्त्र पुरातन काल से ही भारतीय संस्कृति व समाज का अभिन्न अंग रहा है। इसमें यंत्रों का विशेष महत्व है। इस विद्या के जानकार तंत्र को शक्ति का ऐसा श्रोत मानते हैं जिससे हमारी भौतिक आवश्यकताओं की पूर्ति होती है।

यूं तो विविध यंत्रों का निर्माण किसी भी शुभ दिनों में भी किया जा सकता है परंतु दीपावली की महानिशा व धनतेरस पर कई प्रकार के यंत्रों के निर्माण का विधान भारतीय परंपरा में विद्यमान है। इससे इन यंत्रों का प्रभाव बढ़ जाता है। आवश्यकता इस बात की है हम यंत्रों का निर्माण निर्धारित विधि से करें :

ओम श्रीं लक्ष्मी दैव्ये नम: इस यंत्र को कागज पर कुमकुम, चंदन, केसर और गुलाब के इत्र से लिख कर इसके समक्ष नित्य अपनी मनोकामना दोहराने से और मंत्र जाप करने से सम्पत्ति में बढ़ोतरी होती है। मंत्र : ओम श्रीं लक्ष्मी दैव्ये नम:
लक्ष्मी प्राप्ति व व्यापार वर्धक यंत्र (चौतिसा यंत्र ) : इस यंत्र का चांदी पर निर्माण करके धन-त्रयोदशी के दिन कार्यस्थल में रखने से व्यापार में वृद्धि होती है।

तंत्रशास्त्र : कैसे करें तंत्र का निर्माण ? 2मंत्र- ओम श्रीं ह्रीं क्लीं सिद्ध लक्ष्म्यै नम:।

धन प्राप्ति बीसा यंत्र : दीपावली की रात्रि में भोजपत्र पर केसर से इस यंत्र का निर्माण कर इसे अपनी तिजोरी में रखने से धन की कमी नहीं होती।

 

मंत्र- ओम ह्रीं श्रीं क्लीं महालक्ष्म्यै नम: ।

श्री धनप्राप्ति यंत्र : इस यंत्र का स्वर्ण पर निर्माण कर गले में धारण कर धनलक्ष्मी मंत्र का जाप करने से धनप्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।

 

मंत्र- ओम क्लीं श्रीं ह्रीं धनं कुरू स्वाहा।

आजीविका प्राप्ति का बीसा यंत्र : दिवाली की रात्रि में सिंह लग्न में भोजपत्र पर केसर द्वारा अनार की कलम से इस यंत्र को बनाकर इसके समक्ष गायत्री मंत्र का जाप करें । इसे दाहिनी भुजा में धारण करने से नौकरी व आजीविका संबंधी कष्ट समाप्त होते हैं।

 

तंत्रशास्त्र : कैसे करें तंत्र का निर्माण ? 3मंत्र- ओम भूर्भुव: स्व: तत् सवितुर्वरेण्यंभर्गोदेवस्य धीमहि। धियो यो न: प्रचोदयात।

चौतिसा लक्ष्मी यंत्र : रजत पत्र पर दिवाली की महानिशा में इस यंत्र का निर्माण कर कार्य क्षेत्र में रखकर नित्य लक्ष्मी मंत्र की ग्यारह माला का जाप करने से सम्पत्ति और व्यापार में वृद्धि होती है।

बीसा यंत्र : भोजपत्र पर लाल चंदन और केसर से इस यंत्र का निर्माण करके स्वर्ण में धारण करने से आर्थिक लाभ होता है।

 

मंत्र- ओम ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाये विच्चे।

धनवृद्धि यंत्र : इस यंत्र को भोजपत्र पर अष्टगंध, केलर, लालचंदन और कुमकुम से बनाकर इसके समक्ष रसराज श्रीयंत्र रखकर नित्य लक्ष्मी मंत्र का जाप करने से धनवृद्धि होती है।

 

मंत्र- ओम ह्रीं श्रीं क्लीं महालक्ष्म्यै नम:

व्यापार वृद्धि यंत्र : इस यंत्र को भोजपत्र पर लाल चंदन और केसर से दिवाली की महानिशा में लिखकर उसके समक्ष कमल के फूल पर लक्ष्मी मंत्र का जाप करते हुए लाल गुलाब की पंखुडय़िां अपिज़्त करने से कारोबार में वृद्धि होती है। मंत्र- ओम ह्रीं श्रीं क्लीं नम:।
श्री धनलक्ष्मी यंत्र : इस यंत्र को दीपावली की महानिशा मे सिंदूर और घी से श्वेत कागज पर लिखकर लक्ष्मी मंत्र जाप करने से व्यापार में वृद्धि होती है। पूजन के उपरान्त इसे कार्य क्षेत्र में स्थापित कर दें।

 

मंत्र- ओम ह्रीं श्रीं ह्रीं श्रिये नम:

श्री सिद्ध महालक्ष्मी यंत्र : इस यंत्र को धन त्रयोदशी के दिन सिंदूर, घी और चमेली के तेल से पूजा स्थान की दीवार पर बनाकर लक्ष्मी बीज मंत्र का जाप करने से नए कायज़् की योजना से धन वृद्धि होती है। इसे स्वर्ण में धारण भी कर सकते हैं। मंत्र- ओम श्रीं नम:।
लक्ष्मी सिद्ध यंत्र : महानिशा में भोजपत्र पर कुमकुम, चंदन, केसर और गुलाब के इत्र से इस यंत्र को बनाकर, इसके समक्ष श्री सूक्त का 108 बार पाठ करके स्वर्ण के ताबीज़ में डालकर गले में धारण करने से धन व ऐश्वर्य प्राप्त होता है।

 

मंत्र- ओम ह्रीं क्लीं श्रीं ह्रीं नम: ।

आरोग्य प्राप्ति यंत्र : दीपावली की रात्रि में गायत्री मंत्र के जाप के साथ इस यंत्र का भोजपत्र पर अष्टगंध से निर्माण किया जाता है। इसे रोगी व्यक्ति को पहनाने से स्वास्थ्य लाभ होता है। ओम अर्हम नम: मम् वांछित पूरय <ड्ढह्म्> इस यंत्र का निर्माण स्वर्ण पर करके अपने पास रखने से नए कारोबार में सफलता मिलती है।

 

मंत्र- ओम अर्हम नम:। ओम ह्रीं नम:।

स्वास्तिक बीसा यंत्र : दीपावली की रात्रि में सिंह लग्न में चांदी, सफेद कागज या भोजपत्र पर कुमकुम, अष्टगंध व चमेली के इत्र से इस यंत्र का निमाज़्ण किया जाता है। इसके समक्ष नित्य लक्ष्मी मनोकामना पूणज़् मंत्र का जाप करने से आथिज़्क समृद्धि के नए द्वार खुलते हैं।

 

तंत्रशास्त्र : कैसे करें तंत्र का निर्माण ? 4मंत्र- ओम ह्रीं स: सिद्धिदात्री स्वाहा।

धनप्रद भाग्योदकारी यंत्र : पूजाघर की दीवार पर सिंदूर और घी से धनतेरस की रात में इस यंत्र को लिखने से भाग्योदय का मागज़् प्रशस्त होता है और कजज़् से मुक्ति मिलती है।

 

मंत्र- ओम श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं सौ:।

मनोकामना यंत्र : चांदी के कलश पर इस यंत्र को खुदवाकर धनतेरस के दिन पूजा स्थान में इसे स्थापित करके नित्य लक्ष्मी मंत्र का जाप करने से धन संबंधित कामना पूणज़् होती है।

 

मंत्र- ओम श्रीं श्रिये नम:।

लक्ष्मी बीसा यंत्र : सफेद कागज पर कुमकुम, केसर और चमेली के इत्र से इस यंत्र का निर्माण करके लक्ष्मी ऐश्वर्य बीज मंत्र का जाप करके स्वर्ण में इस यंत्र को धारण करने से आर्थिक लाभ का योग बनता है।

 

मंत्र- ओम ह्रीं श्रीं ह्रीं नम:।

आरोग्य प्राप्ति यंत्र : दीपावली की रात्रि में गायत्री मंत्र के जाप के साथ इस यंत्र का भोजपत्र पर अष्टगंध से निर्माण किया जाता है। इसे रोगी व्यक्ति को पहनाने से स्वास्थ्य लाभ होता है।

ओम अर्हम नम: मम् वांछित पूरय : इस यंत्र का निमाज़्ण स्वणज़् पर करके अपने पास रखने से नए कारोबार में सफलता मिलती है।

 

मंत्र- ओम अर्हम नम:। ओम ह्रीं नम: ।

स्वास्तिक बीसा यंत्र : दीपावली की रात्रि में सिंह लग्न में चांदी, सफेद कागज या भोजपत्र पर कुमकुम, अष्टगंध व चमेली के इत्र से इस यंत्र का निर्माण किया जाता है। इसके समक्ष नित्य लक्ष्मी मनोकामना पूणज़् मंत्र का जाप करने से आर्थिक समृद्धि के नए द्वार खुलते हैं।

 

मंत्र- ओम ह्रीं स: सिद्धिदात्री स्वाहा।

धनप्रद भाग्योदकारी यंत्र : पूजाघर की दीवार पर सिंदूर और घी से धनतेरस की रात में इस यंत्र को लिखने से भाग्योदय का मार्ग प्रशस्त होता है और कर्ज से मुक्ति मिलती है।

 

मंत्र- ओम श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं सौ:

मनोकामना यंत्र : चांदी के कलश पर इस यंत्र को खुदवाकर धनतेरस के दिन पूजा स्थान में इसे स्थापित करके नित्य लक्ष्मी मंत्र का जाप करने से धन संबंधित कामना पूर्ण होती है।

 

मंत्र- ओम श्रीं श्रिये नम: ।

लक्ष्मी बीसा यंत्र : सफेद कागज पर कुमकुम, केसर और चमेली के इत्र से इस यंत्र का निर्माण करके लक्ष्मी ऐश्वर्य बीज मंत्र का जाप करके स्वर्ण में इस यंत्र को धारण करने से आर्थिक लाभ का योग बनता है। मंत्र- ओम ह्रीं श्रीं ह्रीं नम:

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