नोटबंदी से कालेधन पर प्रहार और ‘न्यू इंडिया’ का सूत्रपात हुआ : रमन मलिक 

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भाजपा प्रवक्ता का दावा :  चुनावी राजनीति में पैसे के दुरूपयोग पर लगा अंकुश 

नक्सलवाद व माओवाद की समस्या को भी करारा झटका लगा 

भारत का 30% से अधिक पैसा तिजौरी में बंद था 

 
नोटबंदी से कालेधन पर प्रहार और 'न्यू इंडिया' का सूत्रपात हुआ : रमन मलिक  2गुरुग्राम। भारतीय जनता पार्टी हरियाणा के प्रदेश प्रवक्ता रमन मलिक ने कहा कि नोटबंदी के ऐतिहासिक फैसले से देश को नई दिशा मिली है। सही मायने में इस अप्रत्याशित अभूतपूर्व फैसले से न्यू इंडिया का सूत्रपात हुआ। नोटबंदी से कालेधन पर कड़ा प्रहार हुआ और धन छुपाने वालों की कमर टूट गई। उन्होंने इसे साहसिक फैसला बताया और कहा कि देश की जनता इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आभारी हैं। कालेधन के खिलाफ चल रही लड़ाई में वे केंद्र सरकार के साथ हैं।भाजपा नेता ने दावा किया है कि नोटबंदी के बाद हुए शोध और चिंतन-मनन में यही निकला है कि इस फैसले के बाद कालेधन के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ने की शुरुआत हुई। 
 
श्री मालिक ने इसका विरोध करने वालों की कड़ी आलोचना की और कहा है कि इस फैसले को विमुद्रीकरण कह कर उस पर संवाद करने वालों को यह जान लेना चाहिए कि यह विमुद्रीकरण नहीं अपितु देश में चलने वाले पुराने नोटों को नए नोटों से बदलने का एक अनूठा प्रयास था जो अपने उद्देश्यों में फलीभूत होता खेलता मुस्कुराता दिखना शुरू हो गया है। उनके शब्दों में ” मेरे अनुसार इस कृत्य में तीन मुख्य प्रभाव पड़े सबसे पहले राजनैतिक प्रभाव फिर सामाजिक प्रभाव और अंततः आर्थिक प्रभाव .” उन्होंने तर्क दिया कि जिस प्रकार से आज विपक्ष और कुछ पत्रकार, बौद्धिक जन इस विषय को रख रहे हैं ऐसा लगता है कि अगर उनका मानस और पठन ठीक है तो फिर तो प्रधानमंत्री ने आत्महत्या से बड़ा काम नहीं किया. उनकी नजरों में ऐसा नहीं नहीं है. 
 
उन्होंने नोट्बंदी के निर्णय के बाद देश में पड़े राजनीतिक प्रभाव की चर्चा की और दावा किया हैं कि राजनीतिक प्रभाव के अंतर्गत हमको इसका प्रभाव स्पष्ट दिखता है. उन्होंने उदहारण प्रस्तुत करते हुए चंडीगढ़ की विजय, गोवा एवं मणिपुर में भाजपा की विजय का जिक्र किया. भाजपा प्रवक्ता ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की विजय का भी सन्दर्भ दिया और स्पष्ट किया कि यह कहना कि मैं काले धन के ऊपर प्रहार करूंगा और उसको अमल में लाना यह दर्शाता है कि पीएम ने अनेक बड़े धनाढ्य प्रभावशाली व्यक्तियों से आमने सामने की लड़ाई मोल ली. यह समझना जरूरी होगा कि राजनीतिक दृष्टि से अपने को दाव पर लगा देना जोखिम भरा था जो सिर्फ देश के लिए किया गया ।
 
श्री मालिक ने चुनावी राजनीति में पैसे के दुरूपयोग की ओर इशारा करते हुए कहा कि जो लोग आज तक यही समझते आए कि नोट से ही वह आएगा . नोट से ली हुई बोतल से वोट आएगा,उन सबके लिए इससे बड़ा और भद्दा मजाक नहीं हो सकता था कि उनकी तिजोरियों और तहखानों में बंद नोट अब उनके लिए एक मुसीबत बन चुके थे. देश की राजनीति में इससे बड़ा काम अब तक नहीं हुआ कि अब राजनीतिक चंदा देने की सीमा, उसको देने के नियम और उसमें आमजन को अपनी सहूलियत अनुसार अपने आप को इन सबके क्रोध से बचाने के लिए एक दल मिल गया जो राजनीतिक स्वच्छता और पारदर्शिता दोनों के लिए काम कर रहा है. उन्होंने दावा किया कि आज जब हम चुनाव देखते हैं तो हमें प्रत्यक्ष रूप से यह नजर आता है कि जिस प्रकार पहले चुनावों में शहर, पोस्टर-बैनर झंडे व लड़ियों से ऐसे भरे दिखते थे कि मानो कूड़ाघर हो, अब वह सब समाप्त हो गया है
 
नोट्बंदी के दूसरे सबसे बड़े प्रभाव, सामाजिक प्रभाव में हुए बदलाव की ओर इंगित किया . भाजपा नेता ने याद दिलाया कि एक अवधारणा चलती आई है कि काला धन अछूत नहीं है. काला धन गलत नहीं है . काले धन के बिना व्यापार नहीं हो सकता. अब इस सारी अवधारणा को इस निर्णय से तोड़ दिया गया और कालाधन रखने वाला अगर कोई आज नज़र आता है तो लोग उसे घृणा की भावना से देखते हैं . इस घटना के होने से एक और बहुत बड़ा सामाजिक परिवर्तन आया और वह यह था कि कश्मीर के अंदर बैठे वह देश द्रोही जो मासूम बच्चों के हाथ में पत्थर देकर उनसे पत्थरबाजी कराते थे उनका यह गोरखधंधा यह देशद्रोह बहुत हद तक इसकी कमर टूट गई . वही देश के अंदर नक्सलवाद की, माओवाद की, समस्या को भी करारा झटका मिला और इस दौरान उनके विभिन्न लोगों ने आत्मसमर्पण भी किया .
 
नरेन्द्र मोदी द्वारा एक वर्ष पूर्व लिए गए निर्णय से बड़ा आर्थिक प्रभाव पड़ने का भी दावा किया और कहा कि जहां  इस कृत्य से लोगों के पास बड़ा पैसा बैंकों में आने से बैंकों की स्थिति सुधरी वही इस एक साल में 1% से ऊपर बयाज दर घट गए . इस समय सीमा के अंतर्गत 9000000 नए करदाता आयकर विभाग में पंजीकृत हुए और 300000 से अधिक ऐसे लोगों का पता लगा जिन्होंने उस दौरान अपने काले धन को एक पहचान दी.  यह भी पता लगा की 23 लाख ऐसे अकाउंट मिले जो अपने आप को संदिग्ध होने के प्रमाण उजागर करते रहे. इन 23 लाख खातों पर सरकार जांच कर ऐसे लोगों और गुटों को इंगित करेगी जो इस देश को काले धन देने के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जिम्मेवार हैं .
 
रमण मालिक ने आगाह किया कि हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि जिस समय से क्रेडिट कार्ड या डेबिट कार्ड आए तो उनको क्रेडिट पर सामान देने के लिए जो पॉइंट ऑफ सेल की मशीनें थी वह आज तक सिर्फ 15 लाख थी , जो गत 1 साल के अंदर दुगनी होकर 30 लाख में हैं. हमको पुरानी कहावत को नहीं भूलना चाहिए कि “पैसा पैसे को लेकर आता है ” उनका मानना है कि भारत का 30% से ऊपर पैसा सक्रिय नहीं था. वह किसी की तिजोरी, किसी के तहखाने में बंद था जो आज बाहर आ गया. तर्क दिया कि अगर वह आर्थिक जगत में घूमता है तो प्रगति को साथ खींच कर लाता है क्योंकि उसकी उत्पादकता बढाती है. 
 
भाजपा नेता ने इस साल के अर्थशास्त्र के नोबेल प्राइज विजेता रिचर्ड थालर के उस बयान को उधृत किया जिसमें उन्होंने कहा है कि यह पहला कदम है इकॉनमी को कम कैस वाली इकॉनमी बनाने की तरफ और एक सटीक सुदृढ़ शुरुआत है, करप्शन को कम करने के लिए.
 
उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री सरदार मनमोहन सिंह के उस कथन की आलोचना की जिसमें कांग्रेस नेता ने आशंका जताई है कि नोट्बंदी से देश का सकल घरेलू उत्पाद कम से कम 2 प्रतिशत टूट जाएगा . भाजपा नेता ने उनसे असहमति जताते हुए कहा कि ” मैं इतना जरूर बोलूंगा की अगर इतने बड़े परिवर्तन के लिए इसको वन टाइम फीस ही माना जाए तो भी मैं यह मानता हूं कि देश की प्रगति उन्नति विकास और हमारी भावी पीढ़ियों के लिए यह कीमत बहुत कम है.”

 

Suvash Chandra Choudhary

Editor-in-Chief

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