क्या जीएसटी लागू होने से बिजनेस करना होगा आसान ?

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जानिये , क्या है विशेषताएं  ! 

चंडीगढ़, 4 मई:  पहली जुलाई, 2017 से लागू किया जाने वाला प्रस्तावित माल एवं सेवाकर (जीएसटी) देश में विभिन्न प्रकार की वित्तीय रुकावटों को हटाने के साथ-साथ व्यापार, उद्योग और उपभोक्ताओं जैसे सभी पणधारकों के लिए एक समान राष्टï्रीय बाजार को बढ़ावा देगा।
आबकारी एवं कारधान मंत्री कैप्टन अभिमन्यू ने बताया कि आज जीएसटी के इस सबसे बड़े कर सुधार से उपभोक्ता और व्यापारी दोनों लाभान्वित होंगे। व्यापारी और उद्योग को सुव्यवस्थित कर प्रशासन मिलने के साथ-साथ, परेशानी मुक्त और अधिक सहज ईंज-ऑफ डुईंग बिजनेस का लाभ मिलेगा। व्यापार और उद्योग की लागत कम होगी।
केन्द्र और राज्य के अप्रत्यक्ष कर (टैक्स) को एकल टैक्स प्रणाली (जीएसटी) में शामिल करके और पूर्व स्तरीय करो (टैक्स) को समाप्त करने से जीएसटी बड़े पैमाने पर दुष्प्रभावों को समाप्त करेगा और एक सांझे राष्टï्रीय बाजार का मार्ग प्रशस्त करेगा।
भारत में अप्रत्यक्ष करों के क्षेत्र में जीएसटी की शुरूआत एक महत्वपूर्ण कदम होगा। यह देश की अर्थ-व्यवस्था में माल और सेवा पर लगने वाला व्यापक आधार वाला एक कर होगा।

 
इस समय केन्द्र और राज्यों द्वारा अलग-अलग विभिन्न अप्रत्यक्ष कर लगाए जा रहे हैं। केन्द्र माल निर्माण पर आबकारी शुल्क और सेवाओं की आपूर्ति पर सेवा कर एकत्रित करता है। राज्यों द्वारा माल की ब्रिकी पर वैट, मनोरंजन कर, विलासिता कर, अन्तर-राज्य व्यापार पर सीएसटी और प्रवेश शुल्क इत्यादि लगाया जाता है।
कैप्टन अभिमन्यू ने कहा कि जीएसटी की शुरूआत से हमारे उत्पाद घरेलू और अन्तर्राष्टï्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धी भी बनेंगे। अध्ययन दर्शाता है कि यह लगातार अर्थ-व्यवस्था को बढ़ावा देगा। कर आधार बढऩे, व्यापार बढऩे, उन्नत कर प्रणाली के कारण यह केन्द्र और राज्यों के लिए कर और राजस्व को भी बढ़ावा देता है। जीएसटी आर्थिक गतिविधियों को गति देगा और प्रत्येक को लाभान्वित करेगा।
यह कर प्रशासन को सुचारु बनाने, व्यापारिक परेशानियों से बचाने और देश में ईंज-ऑफ डुईंग बिजनेस की सुविधा प्रदान करेगा। इस प्रणाली की अनुपालना से व्यापार और उद्योग की लागत में कमी आएगी। इसके अतिरिक्त कर प्रणाली के पादर्शी होने के कारण यह प्रबंधन के लिए भी सहज हो जाएगा।
मंत्री ने कहा कि माल और सेवा अधिनियम के कार्यान्वयन के कारण ऐसे राज्य को होने वाली राजस्व की किसी भी हानि के लिए केन्द्र सरकार पांच वर्ष की अवधि तक पूरी तरह से मुआवजा प्रदान करेगी। उन्होंने कहा कि जीएसटी पहली जुलाई,2017 से लागू किया जाना प्रस्तावित है।

जीएसटी की मुख्य विशेषताएं :-

क निर्माण पर वर्तमान कर की अवधारणा और माल की बिक्री या सेवाओं के प्रावधान के विरूद्घ यह जीएसटी माल या सेवाओं की आपूर्ति पर लागू होगा। यह खपत आधारित व्यवस्था होगी।
क यह केन्द्र और राज्यों द्वारा लगाए जाने वाला दोहरा जीएसटी होगा,जिसका एक सांझा टैक्स बेस होगा। माल और सेवाओं की अन्तर-राज्यीय आपूर्ति पर केन्द्र द्वारा लगाए जाने वाले जीएसटी को सेंट्रल जीएसटी (सीजीएसटी) कहा जाएगा और राज्य द्वारा लगाए जाने वाले जीएसटी को स्टेट जीएसटी (एसजीएसटी) कहा जाएगा।
क यह जीएसटी मानव उपभोग के लिए अल्कोहलिक शराब की आपूर्ति को छोडक़र सभी माल या सेवाओं पर लागू होगा।
क यह जीएसटी कुछ विशेष वस्तुओं को छोडक़र सभी सेवाओं पर लागू होगा।
क पांंच पेट्रोलियम उत्पादों जैसे पेट्रोलियम कच्चे तेल, मोटर स्पिरिट (पेट्रोल), हाई स्पीड डीजल, प्राकृतिक गैस और विमानन टर्बाइन ईंधन के सम्बन्ध में यह प्रावधान किया गया है कि माल और सेवा कर परिषद्् की सिफारिश की अधिसूचित तिथि तक इन वस्तुओं पर जीएसटी नहीं लगाया जाएगा।
क तम्बाकू और तम्बाकू उत्पादों पर कर जीएसटी के अनुसार होगा। इसके अतिरिक्त, केन्द्र इन उत्पादों पर केन्दीय आबकारी शुल्क लगा सकता है।
क यह जीएसटी केन्द्र द्वारा वर्तमान में लगाए और एकत्रित किए गए निम्र करों का स्थान लेगा:-
क. केन्द्रीय आबकारी शुल्क।
ख. आबकारी शुल्क (औषधीय और शौचालय तैयारियां)
ग. आबकारी के अतिरिक्त शुल्क (विशेष महत्व की वस्तुएं)
घ. आबकारी के अतिरिक्त शुल्क (टैक्सटाईल और टैक्सटाईल उत्पाद)
ड. कस्टम के अतिरिक्त शुल्क (जिन्हें सामान्यत: सीवीडी के रूप में जाना जाता है)
च. कस्टम के विशेष अतिरिक्त शुल्क (एसएडी)
छ. सेवा कर
क राज्य कर जिन्हेें जीएसटी के तहत शामिल किया जाएगा, निम्र हैं:-
क. स्टेट वेट
ख. केन्द्रीय बिक्री कर
ग. विलासिता कर
घ. चुंगी के एवज में प्रविष्ठिï कर (इन्ट्री टैक्स)
ड. मनोरंजन कर( स्थानीय स्वशासन द्वारा नहीं लगाया गया)
च. विज्ञापनों पर कर
छ. खरीद कर
ज. लॉटरी,सट्टïा और जुआ कर
झ. जहां तक राज्य के सेस और सरचार्ज का सम्बन्ध है उनका माल और सेवाओं की
आपूर्ति से सम्बन्ध है।
क केन्द्र द्वारा माल व सेवाओं की अन्तर-राज्यीय आपूर्ति पर समेकित जीएसटी (आईजीएसटी) लगाया और एकत्रित किया जाएगा। केन्द्र और राज्यों के बीच यह सुनिश्चित करने के लिए कि आईजीएसटी का एसजीएसटी हिस्सा डेस्टनेशन स्टेट को हस्तांतरित किया गया है, जहां अंत में माल और सेवाओं का उपभोग होना है, के लेखों का निपटान समय-समय पर किया जाएगा।
क करदाताओं को आदानों (इनपूट टैक्स के्रडिट) पर कर अदायगी का लाभ लेने और आऊटपूट टैक्स की अदायगी के लिए उसके उपयोग करने की अनुमति दी जाएगी। बहरहाल, सीजीएसटी के कारण इनपूट टैक्स क्रेडिट का लाभ एसजीएसटी की अदायगी पर नहीं दिया जाएगा। आईजीएसटी के्रेडिट की अनुमति आईजीएसटी, सीजीएसटी और एसजीएसटी की अदायगी के लिए इस क्रम में उपयोग किए जाने की अनुमति होगी।
क निर्यात को शून्य दर आपूर्ति के रूप में माना जाएगा। निर्यात माल पर कोई कर देय नहीं होगा, परन्तु आपूर्ति से सम्बन्धित इनपूट टैक्स क्रेडिट निर्यातकों के लिए स्वीकार्य होगा।
क माल और सेवाओं के आयात को अन्तर-राज्यीय आपूर्ति के रूप में माना जाएगा और यह लागू कस्टम ड्यूटी के अतिरिक्त आईजीएसटी होगा।
क सीजीएसटी और एसजीएसटी लगाने और एकत्रित करने के कानूनों, विनियमों और प्र्रक्रियाओं का जहां तक सम्भव होगा सामंजस्य किया जाएगा।

 

कई उद्यम जीएसटी ढांचे के अधिकार क्षेत्र से बाहर रहेंगे

 

प्रस्तावित जीएसटी व्यवस्था सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों की आवश्यकताओं को ही पूरा नहीं करती बल्कि उन्हें कुछ सुविधाएं प्रदान कर प्रतिस्पर्धा में भी लाती हैं। छूट सीमा में व्यापक वृद्घि से अनेक ऐसे उद्यम जीएसटी ढांचे के अधिकार क्षेत्र से बाहर रहेंगे।
पहली जुलाई, 2017 से क्रियान्वित किए जाने वाले जीएसटी से सभी क्षेत्रों में अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा, करदाताओं की अनुपालन लागत में कटौती होगी और व्यापक प्रभाव को काफी हद तक कम कर देगा।
जीएसटी प्रणाली के तहत आरम्भिक सीमा को काफी बढ़ाया गया है। वर्तमान में वैट के तहत अधिकांश राज्यों में प्रचलित 5 लाख रुपये की तुलना में 20 लाख रुपये की आरम्भिक सीमा सूक्ष्म और लघु उद्यमों को जीएसटी कर के दायरे से छूट देती है। यह सूक्ष्म और लघु उद्यमों को जीएसटी प्रणाली के अनुपालन की कठोरता से बचाएगा और उनकी रक्षा करेगा।

संघटक योजना :

जीएसटी प्रणाली एमएसएमई की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एक संघटक योजना भी प्रदान करती है। यह योजना 50 लाख रुपये से कम के कुल कारोबार वाले सभी व्यक्तियों के लिए उपलब्ध है।
संघटक योजना के तहत कर की दर विनिर्माताओं के लिए एक प्रतिशत, रेस्तरां के लिए 2.5 प्रतिशत (शराब के अलावा अन्य खाद्य पदार्थ प्रदान करने वाले) और अन्य करयोग्य व्यक्तियों के लिए 0.5 प्रतिशत होगी। यह योजना सेवा की आपूर्ति, भोजन की सेवा को छोडक़र, के प्रावधान करने वाले करयोग्य व्यक्तियों पर लागू नहीं है।
संघटक का विकल्प चुनने वाले करयोग्य व्यक्तियों पर कोई आईटीसी लागू नहीं होगा। संघटक योजना विशेष रूप से एमएसएमई के लिए तैयार की गई है ताकि उन्हें एक सरल कर संरचना प्रदान करके उनके हितों की रक्षा की जा सके।

सरलीकृत ऑनलाइन व्यवसाय प्रक्रियाएं

माल और सेवा कर पूरी तरह से प्रौद्योगिकी संचालित होगा। कर प्रशासन की व्यावसायिक प्रक्रियाओं में विभिन्न सुधारों और स्वचालन से एमएसएमई को और अधिक लाभ मिलेगा।
जीएसटी के तहत सभी प्रकार की सेवाओं के लिए देश में सभी करदाताओं के लिए एक सांझा जीएसटी पोर्टल होगा। जीएसटी का सांझा पोर्टल करदाताओं को पंजीकरण, रिटर्न दाखिल करने, कर का भुगतान करने, रिफंड लेने और ऑनलाइन जवाब देने जैसी सभी सुविधाएं प्रदान करेगा। करदाताओं का कर अधिकारियों के साथ बहुत कम अंतरफलक होगा। सभी सेवाएं समयबद्ध तरीके से प्रदान की जाएंगी। पंजीकरण की प्रक्रिया ऑनलाइन होगी और प्रतिभूति की कोई आवश्यकता नहीं होगी। इसी प्रकार, रिफंड भी ऑनलाइन और एक समयबद्ध तरीके से प्रदान किए जाएंगे।

माल और सेवा कर पेशेवर और सुविधा केंद्र

विशेष रूप से सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमियों के हित को ध्यान में रखते हुए माल और सेवा कर पेशेवर एवं सुविधा केन्द्रों के प्रावधान किए गए हैं। यह उन्हें सांझा जीएसटी पोर्टल पर मासिक रिटर्न दाखिल करने और कर का भुगतान करने के अपने दायित्वों का निर्वहन करने में मदद करेगा।
एमएसएमई जीएसटी सुविधा प्रदाता की सुविधाएं लेने के लिए पात्र होंगे। जीएसटी सुविधा प्रदाता द्वारा जीएसटी अनुवर्ती फॉर्मेट में क्रय/विक्रय डाटा को बदलने, जीएसटी प्रणाली आदि के साथ उसके एकीकरण, आईटीसी दावों, कर देयता, दर्ज करने की स्थिति आदि के मेल और बेमेल को देखने के लिए विभिन्न प्रकार के डैशबोर्ड उपलब्ध करवाने जैसी विभिन्न प्रकार की सुविधाएं प्रदान की जाएंगी।
माल और सेवा कर पेशेवर
करयोग्य व्यक्ति अपने पंजीकरण आवेदन या रिटर्न स्वयं तैयार कर सकते हैं या सहायता के लिए माल और सेवा कर पेशेवरों से संपर्क कर सकते हंै। माल और सेवा कर पेशेवर, करयोग्य व्यक्ति द्वारा उन्हें दी गई जानकारी के आधार पर निर्धारित प्रारूप में पंजीकरण दस्तावेज/रिटर्न तैयार करेंगे। माल और सेवा कर पेशेवर द्वारा तैयार किए गए प्रारूप में निहित जानकारी की शुद्धता की कानूनी जिम्मेदारी केवल करयोग्य व्यक्ति की ही होगी और माल और सेवा कर पेशेवर किसी भी त्रुटि या गलत जानकारी के लिए उत्तरदायी नहीं होंगे।

सुविधा केंद्र (एफसी)

सुविधा केंद्र, करयोग्य व्यक्ति द्वारा उसे दिए गए और अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता द्वारा विधिवत हस्ताक्षरित सारांश पत्र (समरी शीट) सहित फॉमर्स और दस्तावेजों के डिजिटलीकरण और / या अपलोड करने के लिए जिम्मेदार होगा। एफसी के आईडी और पासवर्ड का उपयोग करते हुए सांझा पोर्टल पर डाटा अपलोड करने के बाद, पावती का प्रिंटआउट लिया जाएगा और उसे एफसी द्वारा हस्ताक्षरित किया जाएगा तथा रिकॉर्ड के लिए कर योग्य व्यक्ति को सौंप दिया जाएगा। एफसी अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता द्वारा विधिवत हस्ताक्षरित सारांश पत्र को स्कैन और अपलोड करेगा।
एमएसएमई के दायित्वों को और आसान बनाने तथा उनकी सुविधा के लिए, 1.5 करोड़ रुपये तक के कारोबार वाले करदाताओं को अपनी रिटर्न में किसी भी एचएसएन कोड का उल्लेख करने की आवश्यकता नहीं होगी। 1.5 करोड़ रुपये से अधिक लेकिन 5 करोड़ रुपये से कम के कारोबार वाले करदाताओं को 2-अंकों के एचएसएन कोड का उपयोग करना होगा जबकि 5 करोड़ रुपये या उससे अधिक के कारोबार वाले करदाताओं को 4-अंकों वाले एचएसएन कोड का उपयोग करना होगा।
वर्तमान में, केंद्रीय आबकारी में शुरूआती सीमा 1.5 करोड़ रुपये है। वर्तमान में, 1.5 करोड़ रुपये से कम के कारोबार वाले उद्यम केन्द्रीय आबकारी के तहत शुल्क देने के लिए उत्तरदायी नहीं हैं। हालांकि, वर्तमान में केन्द्रीय आबकारी शुल्क से मुक्त होने के कारण जीएसटी के तहत 1.5 करोड़ रुपये से कम के ऐसे व्यावसायिक उद्यमों के लिए माल और सेवा कर किसी भी प्रकार की छूट या कमी प्रदान नहीं करता है।

Suvash Chandra Choudhary

Editor-in-Chief

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